साध्वी यौन शोषण के अलावा सिरसा के ही सांध्यकालीन अखबार चलाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने के दोष में भी सजा काट रहे डेरा प्रमुख राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिलना पत्रकार स्व. रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति के गलें नहीं उतर रही है, और उतरे भी कैसे। कितनी जानें गई थी, पब्लिक प्रापर्टी जला दी गई थी और इसके बाद उन्हें मुश्किल से सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सका था। अब ऐसे में अंशुल छत्रपति ने कहा कि सरकार उन हालातों को क्यों भूल गई जब इसको पंचकूला हाईकोर्ट में पेश करने के दौरान इतना सब कुछ घटित हुआ था।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा को 21 दिन की फरलो दिए जाने का विरोध किया है और कहा है कि वोट की गंदी राजनीति के लिए अपराधी को फायदा दिया जा रहा है।
अब उसी व्यक्ति को सरकार बाहर निकालकर समाज का माहौल खराब करना चाहती है।
जिम्मेवार लोग कौन हैं सबको पता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के राजनीतिक फैसलों का सभी को विरोध करना चाहिए और ये सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाले फैसले हैं। उन्होंने कहा कि जो समाज और कौम के लिए चुनौती बना था उसके मामले में सोच समझकर फैसला लिया जाना चाहिए था।
गौरतलब, अंशुल छत्रपति ने राम रहीम की तबीयत बिगड़ने पर पैरोल देने और गुरुग्राम के बड़े अस्पताल में उनका इलाज करवाने काे लेकर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि क्या बाकी कैदियों को भी इसी तरह से सुविधाएं दी जाती हैं। एक दुष्कर्मी और हत्यारे व्यक्ति के लिए इस तरह से सुविधाएं मुहैया करवाना ठीक नहीं है। अब 21 दिन की फरलो देने को लेकर भी वे नाराज नजर आ रहे हैं।
बता दें कि राम रहीम हैं। रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने राम रहीम को दुष्कर्म केस में सजा देने के फैसले का सम्मान किया था और फिर पिता की हत्या के केस में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर संतोष जताया था। मगर राम रहीम को सरकार द्वारा फरलो दिए जाने के फैसले पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जाहिर की है।