अगर हमें किसी भी मुकाम को हासिल करना है, तो उसके लिए सबसे जरूरी है उसके लिए कड़ी लगन और मेहनत। अगर हमें किसी चीज में लगाना है और किसी चीज को पाने की इच्छा है। , तो ऐसा हो नहीं सकता कि वह चीज हमें ना मिले। इन सब चीजों में जो एक चीज सबसे महत्वपूर्ण है वह है शिक्षा। अगर हमारे पास किसी भी चीज की शिक्षा है और हमें उसके बारे में पूरी जानकारी है और हमने अगर दृढ़ संकल्प किया है, कि हमें वह चीज पानी ही है। तो वह हमें मिल ही जाती है। शिक्षा ही एक ऐसी चीज है जो मानव को दानव बनने से बचा लेती है। लेकिन आज के समय में शिक्षा का अभाव रहा तो आगे का जीवन बहुत ही कष्टदाई तरीके से बिताना पड़ता है।
अगर हम शिक्षा प्राप्त नहीं करते तो, हमें अपनी जिंदगी बिताने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आज इसी क्रम में हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसे इलेक्ट्रिशियन पिता के बारे में जिसने अपनी जमीन बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाया और बेटी ने भी पिता का नाम बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उसने एसडीएम की नौकरी छोड़कर यूपीएससी को क्लियर किया और अपने पिता के सभी सपनों को पूरा किया। जानिए इस बेटी की सफलता की कहानी।
आपको बता दें जिस बेटी की हम बात कर रहे हैं वह ग्वालियर की रहने वाली उर्वशी सेंगर है। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को पास किया है और साल 2020 में हुई परीक्षा में उनकी 532 रैंक प्राप्त की है। इस रैंक के आधार पर उनको इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विसेस या भारतीय राजस्व सेवा काडर मिलने की संभावना है।
वह बेहद ही इस सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता ग्वालियर में इलेक्ट्रीशियन है। अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए उन्होंने पहले ही अपनी जमीन को बेच दिया। उर्वशी ने अपनी पढ़ाई स्कॉलरशिप के पैसों से कॉलेज तक की इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करनी शुरू की।
वह अपनी पूरी तैयारी घर पर ही करती थी। दो बार प्री लिम्स एग्जाम उनसे क्लियर नहीं हुआ। अभी से 2 प्रयास में फेल होने के बाद उर्वशी दिल्ली आ गई। यहां पर उन्होंने कोचिंग ज्वाइन की, लेकिन उनके पास फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में दूसरे कोचिंग सेंटर में उन्होंने एक काम पकड़ा। वह दिन में कोचिंग का काम करती थी और रात में अपनी कोचिंग जाकर क्लास लेती थी।
आपको बता दें, उर्वशी के पास कमरे के किराए तक के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए वह अपने एक रिश्तेदार के यहां रहती थी। उन्होंने अपने रिश्तेदार के यहां रहकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रखा और यूपीएससी की परीक्षा को पास किया। इस संबंध में उर्वशी बताती हैं कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें यूपी की परीक्षा में 54 वी रैंक मिली। जिससे उन्हें एसडीएम का पद मिला।
लेकिन उस आर्थिक तंगी के बावजूद भी उन्होंने यह पद ज्वाइन नहीं किया। उनके मन में था कि यूपीएससी तो बस यूपीएससी ही करना है। अपनी योग्यता को परखने के लिए उन्होंने फिर से यूपीएससी परीक्षा दी, जिससे में उनका मनोबल बढ़ाया और फिर यूपीएससी को क्लियर किया।
आपको बता दे, उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई ग्वालियर के बादलगढ़ स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से की। 2015 में उन्होंने बीएससी और भूगोल से पीजी पास किया। ऐसी ही और खबरों के लिए हमारे पेज को फॉलो करें और जुड़े रहे पहचान फरीदाबाद के साथ।
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