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अपना सपना पूरा करने के लिए 70 की उम्र में ताऊ ने दी दसवीं की परीक्षा, रोचक है इनकी कहानी

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जीवन में अगर कुछ करने की चाह हो, जज्बा हो तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी चुनौती को भी पार कर सकता है। अपने सपने को पूरा करने के लिए हरियाणा के एक 70 वर्षीय बुजुर्ग ने कुछ ऐसा किया जिससे हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। मामला हरियाणा के सोनीपत का है, जहां एक 70 वर्षीय बुजुर्ग अपने सपने को पूरा करने के लिए उम्र की परवाह न करते हुए दसवीं की परीक्षा दी।

सात साल पहले व्यवस्था सुधार की दिशा में हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी। इस फैसले से कई लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने के सपना बिखर गया। आजाद सिंह मोर भी इन्हीं लोगों में से एक थे। लेकिन इन्होंने हर नहीं मानी। खुद के सपने पूरे नहीं होने पर कुछ लोगों ने अपने बेटे, पत्नी, बेटी और पुत्रवधू तक को चुनाव लड़वाया था।

अपना सपना पूरा करने के लिए 70 की उम्र में ताऊ ने दी दसवीं की परीक्षा, रोचक है इनकी कहानी



सोनीपत के गांव बरोदा के रहने वाले आजाद सिंह मोर का पंचायत चुनाव लड़ने का सपना है। इसके लिए उन्होंने 70 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास की है। आजाद सिंह मोर 2016 में बरोदा मोर से सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे।

चुनाव से एक साल पहले ही हरियाणा सरकार ने सरपंच के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित कर दी थी। जिससे कई लोगों का सपना टूट गया और आजाद सिंह मोर भी इन्हीं लोगों में से एक थे। सामान्य वर्ग के सरपंच पद के लिए दसवीं कक्षा पास करना अनिवार्य था। उस समय वह केवल तीसरी कक्षा पास थे। कम पढ़े-लिखे होने के चलते उनका चुनाव लड़ने का सपना पूरा नहीं हो पाया।

अपना सपना पूरा करने के लिए 70 की उम्र में ताऊ ने दी दसवीं की परीक्षा, रोचक है इनकी कहानी



अपने इस सपने को पूरा करने के लिए आजाद सिंह मोर ने बुढ़ापे में पढ़ना शुरू किया और 2021 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान में दसवीं कक्षा के लिए आवेदन किया लेकिन महामारी के चलते परीक्षा नहीं हो पाई।

अब पंचायत चुनाव में बजाएंगे अपना डंका

अस्समेंट के आधार पर बोर्ड ने सभी परीक्षार्थियों को पास कर दिया। आजाद सिंह मोर के पास अब मार्कशीट पहुंची है। उन्होंने 70 साल की उम्र में करीब 76 प्रतिशत अंक के साथ दसवीं की परीक्षा पास की है। अब वे पंचायत चुनाव में अपना डंका बजाएंगे।

आजाद सिंह के बेटे विजय मोर का कहना है कि परीक्षा के लिए उनके पिता ने पूरी तैयारी की थी। वह हमेशा पढ़ाई करते रहते थे। लेकिन महामारी के कारण परीक्षा नहीं हो पाई। विजय खुद ग्रेजुएट हैं। उनके भाई अजय भी ग्रेजुएट हैं और सेना में कार्यरत है।

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