कुछ चीजें जिनपर पर सिर्फ कुदरत का बस होता हैं। उन्हीं में नाम आता है किसी का जन्म, मृत्यु और दिव्यांग। पर इंसानियत के नाते हमें उसकी कद्र करनी चाहिए। जरूरतमंदों और दिव्यांगो की मदद करना इंसानियत का परिचय देता हैं। मगर दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक दिव्यांग महिला को कथित तौर पर एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट में एंट्री नहीं देने का मामला सामने आया है। दिव्यांग महिला ने उसे रेस्टोरेंट के स्टाफ में उसे प्रवेश करने से रोकने का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि वो व्हीलचेयर पर थी, इसलिए रेस्टोरेंट के स्टाफ ने उसे यह कहते हुए एंट्री देने से मना कर दिया कि उसकी वजह से दूसरे ग्राहकों को परेशानी होगी l
महिला सृष्टि पांडेय ने आपबीती बताते हुए ट्विटर पर कई पोस्ट डाले हैं। महिला अपनी सहेली और उसके परिवार के साथ उस रेस्टोरेंट मे गई थी l महिला का पोस्ट वायरल होने के बाद हरकत में आई गुरुग्राम पुलिस ने मामले पर संज्ञान लेने की बात कही है l पुलिस ने आगे की कार्रवाई के लिए उनसे डिटेल मांगी है। यह पोस्ट ट्विटर पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
पीड़ित महिला सृष्टि ने एक लंबे ट्विटर थ्रेड में कहा कि मैं कल रात अपने सबसे अच्छे दोस्त और उसके परिवार के साथ रास्ता गुड़गांव रेस्टोरेंट @raastagurgaon गई थी। इतने लंबे समय में यह मेरी पहली आउटिंग में से एक थी और मैं मजे करना चाहती थी। भैया (मेरे दोस्त के बड़े भाई) ने चार लोगों के लिए एक टेबल मांगी। डेस्क पर मौजूद कर्मचारियों ने उसे दो बार नजरअंदाज किया।
तीसरी बार जब उन्होंने पूछा तो कर्मचारियों ने जवाब दिया कि व्हीलचेयर अंदर नहीं जाएगी। हमने सोचा कि यह एक एक्सेसिबिलिटी समस्या थी, लेकिन ऐसा नहीं था। हमने उससे कहा कि हम प्रबंधन कर लेंगे, बस हमारे लिए एक टेबल बुक करें। इसके बाद उन्होंने जो कुछ कहा, उसने कुछ देर के लिए सबको चौंका दिया।
उसने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा कि अंदर ग्राहक परेशान हो जाएंगे और यह कहते हुए हमें इतनी आसानी से प्रवेश से वंचित कर दिया। यह बात एक अजीबोगरीब फैंसी जगह के कर्मचारियों ने कही थी।
काफी बहस के बाद उसने हमें बाहर एक टेबल लाने को कहा। बाहर बैठना हास्यास्पद था। ठंड हो रही थी। और मैं ठंड में ज्यादा देर तक बाहर नहीं बैठ सकती क्योंकि मेरे शरीर में ऐंठन हो जाती है। यह सचमुच मेरे लिए असुरक्षित है?
फिर भी मुझे बाहर ही क्यों बैठाया जाए? बाकी सब से अलग? अगर हमें बाहर बैठने की जगह चाहिए होती तो हम मांगते? आखिरकार साफ तौर पर हमें जाने के लिए कहा गया।
लेकिन क्या मैं तुम्हारे लिए बस इतनी ही बाधा बना रही हूं? मुझे हमेशा छोटी-छोटी बातों के लिए क्यों लड़ना पड़ता है? मुझे सार्वजनिक स्थान पर प्रवेश से वंचित क्यों किया गया? वे कौन होते हैं जो मेरी एंट्री को ऐसे ही रोक देते हैं?
I went to my @raastagurgaon with my best friend and her fam last night. This was one of my first outings in so long and I wanted to have fun. Bhaiya (my friend's elder brother) asked for a table for four. The staff at the desk ignored him twice. 1/n
— Srishti (she/her🏳🌈) (@Srishhhh_tea) February 12, 2022
क्या मुझे बाहर जाना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए? क्योंकि जाहिर तौर पर मैं दूसरों के साथ नहीं हूं। क्योंकि मैं दूसरों के लिए “परेशानी” हूं। क्योंकि उनका मूड जाहिर तौर पर मुझे देखकर “खराब” हो जाता है।
मेरा दिल टूट गया है। बेहद दुखद। और मुझे घृणा महसूस होती है।
फिल्म अभिनेत्री पूजा भट्ट ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है l पूजा भट्ट ने लिखा कि मैं बहुत दुखी हूं कि आपके साथ ऐसा हुआ। हम एक समाज के रूप में दया की पूर्ण कमी से पीड़ित हैं। व्हीलचेयर की सुलभता एक बात है, लेकिन एक इंसान को एक समान और सम्मान के योग्य के रूप में देखने से इनकार करना बिल्कुल दूसरी बात है।