देशभर में वैश्विक स्तर पर पैर पसार चुकी कोविड-19 नामक बीमारी के चलते ना जाने कितने काम बिगड़ गए, तो वही देश का भविष्य संवारने वाले विद्यार्थियों का भविष्य भी अंधेरे से घिर गया। संक्रमण के बढ़ते कदमों के चलते बार-बार जहां एक तरफ सरकार को विद्यार्थियों की सुरक्षा हेतु कदम उठाते हुए स्कूल के द्वार बंद करने पड़ते हैं, तो वहीं इसका नकारात्मक असर छात्रों के पढ़ने-बोलने की क्षमता पर पड़ने लगा हैं।
दरअसल शिक्षकों और विद्यार्थियों में लंबे समय तक बेहतर संवाद ना होने के चलते वह पढ़ाई से कुछ इस कदर वंचित हो गए कि इतने समय बाद भी उनमें सुधार ला पाना बेहद मुश्किल भरा कार्य साबित हो रहा है। ऐसे में गुरुग्राम स्थित राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद यानी कि एससी ईआरटी की ओर से एक ऐसा सर्वे किया जा रहा है, जिसमें इस बात का पता लगाया जा सके कि एक मिनट में बच्चा कितने शब्द पढ़ सकता है।
एक तरफ से यह ओरल रीडिंग की तरह कार्य करेगा और छात्रों की मानसिक क्षमता का परिचय देने में समर्थ साबित होगा।खासकर ओरल रीडिंग फ्लुएंसी प्रोजेक्ट में तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। फिलहाल बात करें, तो फरीदाबाद में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या लगभग 239 है। जिसमें तीसरी कक्षा में 20 विद्यार्थी हैं, जो फिलहाल 2 साल से नहीं पहुंच पाए हैं।
और इसके चलते उनके पढ़ने लिखने की आदत छूट चुकी हैं। ऐसे में उक्त संस्थान द्वारा मार्च और अप्रैल में सर्वे सही स्थिति का ज्ञान लिया जाएगा कि 1 मिनट में कितने शब्द बोल पाने में बच्चा समर्थ है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत होने वाले कामों में ओरल रीड इनफ्लुएंस भी शामिल है।
वैसे तो एक मिनट में छात्र को 30-35 शब्द बोलने चाहिए। वहीं हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन जिला प्रधान चतर सिंह का कहना है कि एससीआरटी समय-समय पर कुछ ना कुछ ऐसे कदम उठाता रहता है, और इस बार का यह कदम भी बेहद सराहनीय है, जो स्कूली छात्रों की तैयारी बेहतर तरीके से कराने में समर्थ साबित होगा, और उन्हें आगे प्रोजेक्ट के तहत तैयारी करवाई जा सकेगी और छात्रों के अंदर की कमी को पूरा कर उन्हें प्रोत्साहित किया जा सकेगा।