चुनावों को जीतने के लिए पार्षद जनता से अलग-अलग वादे करते हैं। जीतने के बाद पांच साल तक वह नगर निगम और सरकार से एक-एक करोड़ रुपये देने की मांग करते हैं जिससे वह अपने वार्ड में सड़क, सीवर और पानी की समस्या का समाधान करवा सके, अपने वार्ड का विकास कर सके। लेकिन सरकार ने उनकी कोई चिंता (care) नहीं की। अब जैसा की सब जानते हैं चुनाव आने वाले हैं और चुनाव जीतने कवायद में सरकार ने की महीनों के लंबित करोड़ों रुपये के बजट की मंजूरी दे दी है। सभी वार्डों में विकास कार्य शुरू कर दिए गए हैं।
बता दें कि नगर निगम के अंतर्गत 40 वार्ड आते हैं। कुछ दिनों पहले पार्षदों के पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर निगम सदन भंग कर दिया। इस बीच दिलचस्प बात यह रही कि नगर निगम की प्रत्येक बैठक में वार्ड पार्षद सरकार से अपनी इच्छानुसार विकास कार्य करवाने के लिए एक से दो करोड़ रुपये की मांग करते हैं।
नगर निगम की बजट बैठक में सदन ने प्रत्येक पार्षद का सालाना दो करोड़ रुपये का स्वैच्छिक कोष बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। लेकिन इसके बावजूद बजट नहीं दिया जाता था जिससे कई साल से वार्डों में विकास कार्य लंबित थे।
रुके विकास कार्यों को लेकर कई बार निगम की बैठक में पार्षदों और अधिकारियों के बीच तीखी बहस भी हो चुकी है। पार्षदों ने अधिकारियों पर आरोप भी लगाए थे कि यदि नगर निगम चुनाव नजदीक आ रहे हैं और अगर विकास कार्य नहीं कराएंगे तो वह किस मुंह से लोगों के पास वोट मांगने जाएंगे।
बजट से होंगे यह काम
निगम के एक अधिकारी ने बताया कि वार्डों में शुरू हुए विकास कार्य पास हुए एक-एक करोड़ के बजट से कराए जा रहे हैं। इन वार्डों में पेयजल लाइन, सीवर, गलियों में टाइल्स बिछाना, बारिश के पानी निकासी के लिए सड़क के दोनों पर ओर नाले बनाने का काम शामिल है। वार्ड नंबर-3 में बनाया जा रहा नाला और गलियों में बिछाई जा रही टाइल्स का काम भी इसी के तहत किया जा रहा है।
नगर निगम के मुख्य अभियंता रामजी लाल ने बताया कि मंत्री के निर्देश पर वार्डों में विकास कार्यों के लिए चार माह से लंबित एक-एक करोड़ का बजट भी पास करवा दिया गया और इसका पैसा भी सरकार से आ चुका है। उन्हीं से यह विकास कार्य कराए जा रहे हैं।