प्रदेश भर में बढ़ते नशे की लत को देखते हुए और अपनी व्यथा जाहिर करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज दोनों आज एक साथ मीडिया से रूबरू हुए और अपनी चिंता व्यक्त की। वैसे तो आज तक दोनों के बीच खींचतान चर्चा का विषय बना रहता था। वहीं जब आज दोनो ने पत्रकारों से बात की और साथ वहा से निकलें।
इस दौरान प्रश्नों की बौछार होते ही दोनों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा साथ ही नजरें मिलीं और दोनों मुस्कुराए। वह इन सवालों का सामना करने के लिए पहले से तैयार थे। साथ बैठे गृह सचिव राजीव अरोड़ा, डीजीपी पीके अग्रवाल, सीआइडी चीफ आलोक कुमार मित्तल और सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल भी चौकस होकर बैठ गए।
तनातनी से जुड़े सवाल पर जवाब देने के लिए विज और लाल में माइक को लेकर थोड़ी देर के लिए पहले मैं-पहले मैं हुई। मनोहर लाल ने माइक संभाला। बोले, सब आप लोगों के दिमाग की उपज है। मेरा और विज साहब का 1990 से राजनीतिक और पारिवारिक रिश्ता है। तब उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर अंबाला छावनी से चुनाव लड़ा था। मेरा भी उस चुनाव में कोई न कोई योगदान था। हमारी दोस्ती बहुत पुरानी है, इसलिए ऐसी-वैसी जो भी बात मीडिया के दिमाग में आती है, उसे वहीं खत्म कर देना चाहिए। कुछ काम की बात सोचो। प्रदेश का विकास कैसे होगा, इस बात बात करो। अब अनिल विज की बारी थी।
दाढ़ी पर हाथ फिराने के बाद विज बोले, ऐसी बात बहुत बार सामने आती है कि मेरे और सीएम साहब के रिश्तों में तनातनी या तल्खियां हैं। मैं बता देना चाहता हूं कि मेरा और सीएम साहब का हमेशा मित्रता का रिश्ता रहा है। हम पहले भी मित्र थे और आज भी मित्र हैं। हां, यह तो हो सकता है कि किसी मुद्दे पर हमारे मत अलग-अलग हों, लेकिन हम दोनों का मन एक ही है। सीएम साहब और मैं दोनों चाहते हैं कि हमारी सरकार मजबूती के साथ चले और जन कल्याण करते हुए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे।
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को फरलो के दौरान हाई सिक्योरिटी पर सीएम मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि खुफिया एजेंसियों के इनपुट के बाद ही सुरक्षा दी गई। जेल में जाने से पहले जो सिक्योरिटी थी, वही अब दी गई। अब भी थ्रेट थी। जेल में लौटने के बाद सुरक्षा हट जाएगी, फिर जेल की सिक्योरिटी रहेगी। जब सीएम से पूछा गया कि गुरमीत सिंह पर ड्रोन हमले का भी इनपुट है और वह तो जेल में भी हो सकता है।