उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में गई पुलिस पर रात मे हमला बोल दिया गया। अपराधियों की ओर घात लगाकर की गई फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए।
जिसमें 7 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। शहीद हुए पुलिसकर्मियों में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा और एसओ शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल हैं। घायल पुलिसकर्मियों में से एक की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है, उनके पेट में गोली लगी है।
कौन हैं हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे
विकास दुबे कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अपराधी है। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है। बचपन से ही वह जरायम की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता था।
विकास दुबे ने सबसे पहले अपना गैंग बनाया और फिर लूट, डकैती, हत्याएं करने लगा। 19 साल पहले उसने थाने में घुसकर एक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या की थी। उसने राजनीति के अखाड़े में भी उतर कर अपने काले कारनामों को खादी की चमक से छिपाने का प्रयास किया
लेकिन कुछ उसे कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली। विकास दुबे अलग-अलग मामलों में कई बार गिरफ्तार भी हो चुका हैं, एक बार तो लखनऊ में एसटीएफ ने उसे दबोचा था। उसे एक हत्याकांड में उम्रकैद भी हो चुकी है। लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गया था।
विकास दूबे के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं। जिसके अंदर उसके खिलाफ 60 में से करीब 53 हत्या के प्रयास के मुकदमे चल रहे हैं। 25000 के इनामी विकास दुबे पूर्व प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है।
विकास दुबे वही अपराधी है, जिसने 2001 में राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा पाए संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। विकास दुबे पर 2003 में श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप लगा था। इसमें भी वह बरी हो गया था।
इसके अलावा साल 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था
कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में ही साल 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे पर जेल के भीतर रह कर साजिश रचने का आरोप है। यही नहीं साल 2004 में हुई केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे आरोपी है।
साल 2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। उसने माती जेल में बैठकर पूरी साजिश रची थी। जिसके बाद अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज करवाया था। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की यूपी के चारों राजनीतिक दलों में पकड़ है।
साल 2002 में जब मायावती सूबे की मुख्यमंत्री थीं तब इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था। इस दौरान विकास दुबे ने जमीनों पर अवैध कब्जे के साथ और गैर कानूनी तरीकों से संपत्ति बनाई।
Written by – Abhishek
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