मरीजों का दर्द देख पिघला शिक्षक का दिल, अपनी 30 लाख रुपए की जमीन की जनता क्लीनिक को दान

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 मरीजों का दर्द देख पिघला शिक्षक का दिल, अपनी 30 लाख रुपए की जमीन की जनता क्लीनिक को दान

कई बार हमारे सामने ऐसे मामले आते हैं जिन को सुनने के बाद हम एक तरफ भावुक भी हो जाते हैं और दूसरी तरफ हम किसी की तारीफों के पुल बांध देते हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान से आया है। यहां पर एक शिक्षक ने ऐसी मिसाल पेश की है। लोग उन्हें सेल्यूट कर रहे हैं। यहां पर एक शिक्षक महोदय ने अपने अच्छे व्यवहार से समाज को एक अच्छा पाठ पढ़ाया है। बीकानेर के 74 साल के रिटायर टीचर ने अपने छात्रों और शहर के नागरिकों को उदारता का पाठ बखूबी पढ़ाया ह।  उन्होंने अपनी 1488 वर्ग फुट जमीन को जनता क्लीनिक बनाने के लिए दान किया है।

आपको बता दें जिस शिक्षक की हम बात कर रहे हैं वह साल 2008 में रिटायर हुए लीलाधर खुदिया है। उन्होंने साल 1990-91 में अपनी पत्नी के नाम पर बीकानेर शहर में एक जमीन खरीदी थी। आज के समय में उसकी कीमत 30 लाख से ज्यादा है।

मरीजों का दर्द देख पिघला शिक्षक का दिल, अपनी 30 लाख रुपए की जमीन की जनता क्लीनिक को दान

लीलाधर बताते हैं कि उन्होंने अपनी कमाई से यह जमीन खरीदी थी। जिस इलाके में यह जमीन है वहां उनका बेटा रहता है। वहां के लोगों को अपना इलाज कराने के लिए बहुत दूर बीकानेर शहर जाना पड़ता है। कभी कभी दूर होने की वजह से मरीजों की हालत ज्यादा बिगड़ जाती है।

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जब उसके बेटे ने उन्हें बताया की यहां के लोगों को इलाज कराने के लिए बहुत दूर बीकानेर शहर में जाना पड़ता है क्योंकि यहां का निजी अस्पताल बहुत महंगा है। यहां इलाज करा पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है।  तो उनका दिल पिघल गया और उन्होंने वहां मौजूद अपनी जमीन को दान करने का फैसला ले लिया।

मरीजों का दर्द देख पिघला शिक्षक का दिल, अपनी 30 लाख रुपए की जमीन की जनता क्लीनिक को दान

अगर इस बात को गंभीरता से समझे तो उन्होंने अपनी जमीन जनता लेने के लिए दान देने का फैसला लिया है।  तीनों तरफ से खुली हुई है जमीन जनता लेने के लिए एक दम अच्छी है और वर्तमान इसकी कीमत 30 लाख रुपए से ज्यादा है।

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साल 1965 में बतौर स्काउट राष्ट्रपति राधाकृष्णन से सम्मानित हो चुके लीलाधर कहते हैं कि उन्हें जमीन से कुछ नहीं चाहिए। बस उनकी इतनी इच्छा है कि जनता क्लीनिक का नाम उनके माता-पिता के नाम पर रखा जाए। क्लीनिक का नाम राजकीय श्रीमति धन्नी देवी-हरनाथ जी खुदिया जनता क्लीनिक रखा जाना चाहिए।

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साधारण जिंदगी जीने वाले लीलाधर जो आज भी एक मोपेड से चलते हैं, अंग्रेजी के शिक्षक के पद से रिटायर हुए। वह आज भी खुद को एक स्काउट मानते हैं जिसका काम लोगों की सेवा करना होता है।