सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां पर हम देश और दुनिया के कोई भी खबर जान सकते हैं। अगर हमें कहीं के बारे में कुछ भी जानना है, तो हम सोशल मीडिया पर देख लेते हैं। कई बार इस पर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जिनको देखने के बाद हम हैरत में पड़ जाते हैं कि, आखिर कोई ऐसा कैसे कर सकता है? ऐसा ही एक मामला बिहार से हमारे सामने आया है। यह घटना जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अबगिला की है। यह मामला पुलिस की लापरवाही से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
बता दे, पुलिस ने जिस पत्नी के अपहरण और हत्या के आरोप में पति को जेल में बंद किया था, वह जिंदा बाजार में घूमते हुए मिली है। इस विषय में पीड़ित पति विजय कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी उषा कुमारी अचानक भाग गई थी।
अगर पति की माने तो पत्नी पहले भी कई बार घर से भागकर पटना के मीठापुर स्थित अपने मायके में चले जाती थी। लेकिन जब साल 2013 में भागी तो वह वापस नहीं आई।
उसकी काफी छानबीन की गई। लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। उसके बाद उषा के माता-पिता ने उसके छोटे भाई रंजीत कुमार और मां पर अपहरण और हत्या का मामला प्राथमिकी मुफस्सिल थाना में दर्ज कराया। लगातार 7 साल तक कोई पता नहीं चलने पर पुलिस ने उसे मृत मान लिया।
ऐसे में पुलिस ने पति को आरोपी मान लिया और जेल में बंद कर दिया 3 महीने सजा काटने के बाद वह वापस लौटा। मामला अभी कोर्ट में चल रहा था। पति का नाम विजय है और वह राज मिस्त्री का काम करता है।
देवर रणजीत कुमार ने बताया की जैसे तैसे उसने पुलिस कस्टडी में से अपना नाम हटवाया। जबकि सास को हाई कोर्ट से बेल लेना पड़ा। मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। उसने बताया कि बीते दिनों उसकी बहन शाम को जब लेने बाजार गई तो उसने अपनी भाभी को देखा। जिससे वह हैरान हो गई।
जब ननद ने अपनी भाभी को घर चलने के लिए कहा तो उषा ने उसे अपनी दूसरी शादी की बात बताई और घर जाने से मना कर दिया। जब इस बात की जानकारी मुफस्सिल थाना के पुलिस को मिली, तो उन्होंने महिला को अपनी गिरफ्त में ले लिया। फिलहाल उसे पुलिस अभिरक्षा में रखा गया है।
इस मामले पर गया एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि 9 साल पहले महिला की हत्या का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें पति को जेल भी भेजा गया था। अब महिला का कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर लापता महिला सात सालों तक नहीं मिलती है, तो उसे मृत मान लिया जाता है। यहां तो नौ साल बाद वो मिली है। उस वक्त जो भी साक्ष्य मिले होंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की गई होगी। अब सही मामला सामने आया है तो उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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