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सूरजकुंड मेले में महिलाओं के हाथों से बने बैंया चिडियां के घोसलें ने लुभाया लोगो का मन, बन रहे है आकर्षण के केंद्र

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कभी गांव के बाहर जंगलों में कहीं सडक़ के किनारे पेड़ों पर खेतों में कुएं के आस-पास लगे पेड़ों के झुरमुठ पर लटके मिलने वाले बैंया पक्षी के घोसले बेसक आज कम दिखाई देते हैं लेकिन सूरज कुड मेले में आज कल इन घोसलों की बहार है।

घरों के बाहर पेड़ों पर लटकाने के लिए यह घोसले नारियल के रेशों से बनाए गए है। ऐसी ही बहुत सारी चीजों के साथ आजादी का अमृत महोत्सव के तहत नाबार्ड हरियाणा के द्वारा 35वें सूरज कुंड मेले में शिव शक्ति महिला स्वयं सहायता समूह की तरफ से 723 नम्बर स्टाल लगाया गया है।

सूरजकुंड मेले में महिलाओं के हाथों से बने बैंया चिडियां के घोसलें ने लुभाया लोगो का मन, बन रहे है आकर्षण के केंद्र



शिव शक्ति महिला स्वयं सहायता समुह की तरफ से जिला करनाल के गांव पधाना निवासी पूनम ने बताया कि स्टाल पर कुल 12 महिलाएं है जिनके द्वारा हाथ से बने चिडियां बैंया का घोसला, जूट के बैग, टीफ बैग, पिकनिक बैग, लंच बैग, घरेलु सामान का बैग के अलावा मिर्च का आचार, मिक्स आचार, गाजर का आचार, चटनी व आवंले तथा सेब के मुरब्बे, दूध पनीर, गुलाब जामुन, बर्फी स्टाल पर लगाई गई है।

उन्होंने बताया कि शिव शक्ति महिला स्वयं सहायता समुह द्वारा कढाई की चुन्नी व सिलाई सहित टीफन सप्लाई का कार्य भी किया जाता है। पूनम ने बताया सरकार द्वारा स्वयं के रोजगार हेतू सरकार की बहुत अच्छी पहल है कि नाबार्ड द्वारा महिला सहायता समूहों को जो अपना स्वयं का कार्य शुरू करना चाहते है उन्हें बैंक द्वारा लोन दिलवाया जाता है।

सूरजकुंड मेले में महिलाओं के हाथों से बने बैंया चिडियां के घोसलें ने लुभाया लोगो का मन, बन रहे है आकर्षण के केंद्र



जोकि एक लाख रूपये से शुरू किया गया था जो अब सरकार द्वारा 06 लाख रूपये की धनराशि कम से कम ब्याज दर पर लोन स्वरूप प्रदान की जा रही है। नाबार्ड द्वारा सहायता स्वरूप रोजगार के लिए बढाए इस कदम द्वारा महिलाओं को 10 हजार से 12 हजार रूपये प्रतिमाह आमदनी हो रही है।

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