सूरजकुंड मेले में दिखा जेल बंदियों का हुनर, जिला जेल की स्टॉल पर लोग ने की दिल खोल कर की खरीदारी

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 सूरजकुंड मेले में दिखा जेल बंदियों का हुनर, जिला जेल की स्टॉल पर लोग ने की दिल खोल कर की खरीदारी

एक तरफ जहां 35वें सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेले में शिल्पी अपने हुनर के चलते मेला देखने आए उत्पादों की छाप छोड़ रहे है। वहीं दूसरी तरफ गांव नीमका में बने जिला कारागार के बंदियों द्वारा बनाए गए उत्पादों को दर्शक मेले में काफी सराहा रहे है।

मेले में जिला जेल की स्टॉल नंबर.787 पर लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं। जिला जेल की स्टॉल पर बंदियों द्वारा बनाई गई दीवार घडी, मिरर, पेंटिंग, झूला, मंदिर, जूट बैग, ग्रीटिंग कार्ड, पत्थर कुंडल, चरखा, ऐश-ट्रे, रिमोर्ट स्टैंड, पैन स्टैंड, शीशा फ्रेम, निवार बेल्ट, फाइल कवर, पर्स, चाबी स्टैंड, फोन स्ट्रेरी, गणेश प्रतिमा, महिला स्टैचू, कुर्सी, मूढा सहित अनेक चीजें लोगों का आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

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जैसे ही मेला देखने आए दर्शक इस स्टॉल के नजदीक पहुंचते है तो वह अपने पैर रोक नहीं पाते है बंदियों द्वारा निर्मित सामानों को देखकर दांतों तले अंगुलियां दबा लेते है। जेल अधीक्षक जय किशन छिल्लर ने बताया कि 35वें शिल्प मेले में यह स्टॉल सरकार द्वारा जारी हिदायातों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लगाई गई है।

इस स्टॉल पर रखी गई सभी वस्तुएं फरीदाबाद तथा प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंदियों द्वारा बनाई जा रही हैं। जिन बंदियों ने कभी हथियार पकड़े थे आज औजार पकड़े है। जोकि अच्छी कलाकृति बना रहे है और अपने हुनर को दर्शा रहे है। जेल प्रशासन ने इनको स्किल की जो तालीम दी है वह आगे भी इन बंदियों की काम आएगी।

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उन्होंने कहा कि इससे यह भी मैसेज जाता है कि कोई जन्म जात अपराधी नहीं होता यदि उसको अच्छा माहौल दिया जाए, अच्छा हुनर सिखाया जाए, तो वह व्यक्ति अच्छी दिशा में समाज के लिए बेहतर काम कर सकता है।
जेल अधीक्षक जय किशन छिल्लर ने आगे बताया कि सरकार का यह एक बेहतर कदम है। कारीगरी से बंदियों को भी अपनी कुशलता का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है और वे पुन: समाज की मुख्यधारा में जुडऩे के लिए प्रेरित होते हैं।

उन्होंने कहा कि स्टॉल पर हो रही खरीददारी से इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जेलों में बंदियों में हुनर की कोई कमी नहीं है और उन्हें आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हुनरमंद बनने का और भी बेहतर मौका दिया जा रहा है।

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इससे एक बात और भी सामने आएगी कि जब यह बंदी जेल से छूटकर बाहर जाएगें तो अपने इस हुनर के चलते अपना पालन पोषण कर सकेगें और अपराध को छोडकऱ समाज का अभिन्न अंग बनेगें। स्टॉल पर जेल उप.अधीक्षक रोहन हुड्डा, हैड वार्डर ईश्वर सिंह, सुनिल दत्त, वार्डर देवेंद्र कुमार मौजूद हैं।