रेमंड ग्रुप के संस्थापक विजयपत सिंघानिया एक जाना माना नाम है। एक समय था जब हर तरफ उन्ही की बाते हुआ करती थी। इन्होने रेमंड कंपनी की शुरुआत 1925 में की थी। इन्होने अपनी कड़ी मेहनत से रेमंड के शो रूम देश ही बल्कि। विदेशी में भी स्थापित किया।
2006 में विजयपत सिंघानिया को पद्मा भूषण अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया। एक बार फिर विजयपत सिंघानिया अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में बने हुए है।विजयपत सिंघानिया ने बयान दिया कि कभी भी जीते जी अपने बच्चों को संपत्ति नहीं देना चाहिए।
दरअसल रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैन ने अपनी आत्मकथा ‘एन इनकंप्लीट लाइफ’ लॉन्च की है जिसमें उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई राज पर से पर्दा उठाया है। विजयपत सिंघानिया ने परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति को लेकर हुई अनबन के बारे में भी खुलासा किया है।
इसके अलावा उन्होंने अपने बचपन के दिनों से जुड़ी यादो के बारे में भी बताया। अपना अनुभव शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि, “अनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा वह यह है कि अपने जीवित रहते अपनी संपत्ति को बच्चों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आपकी संपत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन ये आपकी मौत के बाद ही देनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि किसी माता-पिता को वो झेलना पड़े जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं।”
इसके अलावा भी विजयपत सिंघानिया ने खुलासा करते हुए कहा कि, “मुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हुए हैं और अन्य सामान जो कि मेरा है। इतना ही नहीं बल्कि मुंबई और लंदन में मुझे अपनी कार छोड़नी पड़ी और मैं अपने सचिव से भी संपर्क नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वह मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में ना आए।”
आपको बता दें कि, देश के सबसे बड़े उद्योगपति में गिने जाने वाले विजयपत सिंघानिया कभी 12 हजार करोड रुपए की कंपनी रेमंड के मालिक हुआ करते थे। लेकिन आज उनका इस वक्त आ गया है की सिंघानिया पाई-पाई के लिए तरस रहे है। एक समय ऐसा था जब विजयपत सिंघानिया का बोलबाला था और वह मुकेश अंबानी के एंटीलिया आलीशान घर से भी ज्यादा ऊंचे मकान ‘जेके हाउस’ में रहा करते थे।
लेकिन अब ऐसा कहा जा रहा है कि विजयपत सिंघानिया से उनके बेटे ने गाड़ी और ड्राइवर तक भी छीन लिए है। इन दिनों विजयपत सिंघानिया दक्षिण मुंबई में किराए के कमरे में रहते है। साल 2015 में विजयपत सिंघानिया ने अपने कंपनी के सारे शेयर बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दिए थे। जैसे ही संपत्ति बेटे के नाम हुई उसने सारी संपत्ति हड़प ली और पिता को पाई पाई का मोहताज बना दिया।
साल 1925 में विजयपत सिंघानिया ने रेमंड कंपनी की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 1958 में उन्होंने इसका पहला रिटेल शोरूम मुंबई में खोला था। इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी कंपनी को सफलता के शिखर तक पहुंचाया। ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में भी रेमंड कंपनी के शोरूम खोले गए। साल 2006 में विजयपत सिंघानिया को भारत सरकार की ओर से पद्मा भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।