वर्तमान में भारत देश के साथ पूरे विश्व में कोरोना रूपी वैश्विक महामारी ने कहर बरपाया हुआ है जिसके चलते अभी तक लाखों लोग अपनी जान गवा चुके हैं और लाखों मरीज अभी भी इस महामारी से जूझ रहे हैं। बात करें भारत की तो भारत में इस महामारी की चपेट में आ चुके मरीजों की कुल संख्या सात लाख के करीब हो चुकी है और यह आंकड़ा रोजाना हजारों में मरीजों के साथ तेजी से बढ़ रहा है।
भारत में जबसे कोरोना वायरस दाखिल हुआ है तबसे लोगों की जीवन शैली पूरे तरीके से बदल चुकी है लोगों ने अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करते हुए जीने के नए तरीके ढूंढ लिए हैं और उनके अनुसार अपने आपको ढालना शुरू कर दिया है। भारतीय लोगों की जीवन शैली में जो सबसे बड़ा परिवर्तन इस महामारी के कारण शादी समारोह के आयोजन में देखने को मिला।
भारत में जहां शादी समारोह में पहले लोग लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देते थे वही अब यह तौर तरीका पूरी तरीके से बदल चुका है। महामारी से पहले गरीब लोगों पर शादी समारोह का काफी भार पड़ता था। क्योंकि शादी समारोह में लाखों रुपए खर्च करना एक परंपरा बन गया था और गरीब लोग इतना पैसा एकत्रित नहीं कर पाते थे।
लेकिन अब लोग बिना किसी दिखावे के कम खर्चे में शादी कर रहे हैं। जिसका एक उदाहरण हरियाणा के रेवाड़ी जिले के सामने आया जहां एक मां अपनी बेटी की शादी में होने वाले खर्चे के चलते अपना मकान बेचने वाली थी लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसकी बेटी की शादी में केवल ₹8000 का खर्चा आया और शादी भी निपट गई।
यह मामला रेवाड़ी के गुलाबी बाग मोहल्ले का है। इस इलाके में रहने वाली पुष्पा को फार्मेसी द्वितीय वर्ष में पढ़ रही अपनी छोटी बेटी नीरू की शादी के खर्च के लिए 5 लाख रुपए जुटाने थे। इसलिए उन्होंने शादी के खर्चे के लिए अपना 50 गज का मकान बेचने का मन बना लिया था। लेकिन बेटी का रिश्ता हुआ तो कुछ दिन बाद लॉकडाउन हो गया।
लॉकडाउन लगते ही शादियों में बैंड बाजा और 50 से अधिक लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। ऐसे में शादी हुई तो लड़के वालों के घर से केवल 4 लोग शादी में शामिल हुए और सामान्य तरीके से झज्जर के दीपक कौशिक कि नीरू के साथ विवाह की रस्में संपन्न हुई और इस पूरे आयोजन में महज ₹8000 का खर्चा नीरू की मां पुष्पा को उठाना पड़ा।
जहां पुष्पा अपनी बेटी की शादी के लिए अपना मकान बेचने की तैयारियां कर रही थी वही महज ₹8000 में बेटी की शादी हो जाने पर पुष्पा की आंखें भर आई और उसने बताया की गरीब की बेटियों की शादी के लिए तो लॉक डाउन ही सतयुग है। सरकार को शादी के मानकों का यही कानून हमेशा के लिए निर्धारित कर देना चाहिए।
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