तूफान में टूट गई दो संतों की झोपड़ी तो एक संत ने किया भगवान को धन्यवाद दूसरा संत गुस्से से बौखलाया

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 तूफान में टूट गई दो संतों की झोपड़ी तो एक संत ने किया भगवान को धन्यवाद दूसरा संत गुस्से से बौखलाया

कुछ लोगों के पास चाहे कितनी भी धन दौलत हो जाए वह फिर भी हर चीज की कमी महसूस करते हैं। तो वहीं कुछ लोगों की जिंदगी काफी अच्छी चलती है फिर भी उन्हें ऐसा लगता है कि हमारी जिंदगी अच्छी नहीं है। हमने ऐसे बहुत से लोग देखे हैं जो अपनी जिंदगी को कोसते रहते हैं लेकिन क्या हमारे कोसने से हमारी जिंदगी अच्छी हो जाएगी? आज हम आपको ऐसे ही एक कहानी सुनाने वाले हैं जिसमें यह सीट है कि हमें अपनी जिंदगी में उतार-चढ़ाव को किस तरीके से लड़ना चाहिए।

तूफान में दो संतो की झोपड़ी टूट गई

किसी गांव में दो संत अपनी अलग-अलग झोपड़ियों में पास-पास रहते थे। दोनों रोज सुबह अलग-अलग गांवों पर जाते और भिक्षा मांगते। शाम को झोपड़ी में लौट आते थे।

तूफान में टूट गई दो संतों की झोपड़ी तो एक संत ने किया भगवान को धन्यवाद दूसरा संत गुस्से से बौखलाया

दिनभर भगवान का नाम जपते। भिक्षा से ही उनका जीवन चल रहा था। एक दिन वे दोनों अलग-अलग गांवों में भिक्षा मांगने गए निकल गए। शाम को अपने गांव लौटकर आए तो उन्हें मालूम हुआ कि गांव में तूफान आया था।

एक संत खुशी से झूम उठा तो दूसरा संत भगवान को कोसने लगा

जब पहला संत अपनी झोपड़ी के पास पहुंचा तो उसने देखा कि तूफान की वजह से झोपड़ी आधी टूट गई है। वह क्रोधित हो गया और भगवान को कोसने लगा।

तूफान में टूट गई दो संतों की झोपड़ी तो एक संत ने किया भगवान को धन्यवाद दूसरा संत गुस्से से बौखलाया

संत ने सोचा कि मैं रोज भगवान के नाम का जाप करता हूं, मंदिर में पूजा करता हूं, दूसरे गांवों में तो चोर-लूटेरे लोगों के घर को सही-सलामत है, हमारी झोपड़ी तोड़ दी। हम दिनभर पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन भगवान को हमारी चिंता नहीं है।

संत ने भगवान का किया शुक्रिया अदा

कुछ देर बाद दूसरा संत भी वहां पहुंचा। उसने भी टूटी झोपड़ी देखी। ये देखकर वह खुश हो गया। भगवान को धन्यवाद देने लगा। संत ने कहा कि “हे भगवान, आज मुझे विश्वास हो गया कि तू हमसे सच्चा प्रेम करता है। हमारी भक्ति और पूजा-पाठ व्यर्थ नहीं गई।

तूफान में टूट गई दो संतों की झोपड़ी तो एक संत ने किया भगवान को धन्यवाद दूसरा संत गुस्से से बौखलाया

इतने भयंकर तूफान में भी हमारी आधी झोपड़ी तूने बचा ली। अब हम इस झोपड़ी में आराम कर सकते हैं। आज से मेरा विश्वास और ज्यादा बढ़ गया है।”

इस कहानी का सार

इस कहानी से यही सीख मिलती है कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए हमारे पास जो भी हो हमे उसी में खुश रहना चाहिए हमें परिस्थिति को देखने का नजरिया बदलना चाहिए आपने इस कहानी से क्या सीखा हमे जरूर बताएं।

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