फरीदाबाद में भले ही निजी कंपनी याशी की प्रॉपर्टी टैक्स सर्वे और संपत्ति पहचान पत्र बनाने के मामले में राज्य सरकार द्वारा पीठ थपथपाई जा रही हो, लेकिन नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच के अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों निजी कंपनी याशी की बेवकूफी की वजह से बेहद परेशान हैं। कर्मचारियों को घर-घर जाकर पुरानी व नई आईडी मिलानी पड़ रही है।
सार्वजनिक शौचालयों की बनाई प्रॉपर्टी आइडी
कई कर्मचारी यशी द्वारा ऑनलाइन किए गए डाटा पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि शहर के कई पब्लिक टॉयलेट्स की प्रॉपर्टी आईडी बनाई गई है। हंसने और ताज्जुब होने वाली बात ये है कि शौचालय के लिए बने आईडी में श्रेणी के कॉलम में शिक्षण संस्थान लिखा हुआ है।
सरकारी जमीनों की बनाई आइडी
नियम के अनुसार किसी भी सरकारी स्कूल और पार्क की आईडी नहीं बननी चाहिए, लेकिन इस कंपनी ने कई सरकारी स्कूलों की भी आईडी बनाई है। गुप्त सूत्रों से यह बात सामने आई है, लेकिन प्रॉपर्टी टैक्स शाखा का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को राजी नहीं है।
उन्हें पूरा भरोसा है कि जब सरकार ही निजी कंपनी का समर्थन कर रही है तो उनका विरोध करने से क्या फायदा। बस उन्हें कहा कि गलत रिकॉर्ड सुधारो, वे ऐसा कर रहे हैं। दर्जनों सरकारी स्कूलों के आईडी भी बनाए गए हैं।
सुधार कर रहे हैं
अपर नगर आयुक्त अभिषेक मीणा का कहना है कि प्रॉपर्टी टैक्स शाखा की टीमें पुराने और नए रिकॉर्ड का मिलान कर रही हैं। कमियां दूर की जा रही हैं।
सामने आए उदाहरण
बाजार नंबर एक में पार्क से सटा सार्वजनिक शौचालय है। इस शौचालय की आईडी कंपनी ने बनाई है। संपत्ति आईडी संख्या 1बी 93 वीक्यूसी 7 है।
दो नंबर एल ब्लॉक के 841 गज के पार्क की आईडी गोपीचंद समाज मंदिर के नाम से बनाई गई है। संपत्ति आईडी संख्या 1बी – 649 एमपी 6 है। मकान मालिक का नाम हरियाणा सरकार के कॉलम में लिखा है।