कोरोना संक्रमण के फिर से उभरने को लेकर कई तरह की आशंकाएं जाहिर की जा चुकी हैं। केंद्र और राज्य सरकारों ने इसे नियंत्रण में रखने के लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग, इलाज और टीकाकरण पर विशेष जोर दिया है। टीकाकरण के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग टेस्टिंग में भी फेल होता नजर आ रहा है।
कोरोना जांच नही हुई शुरू
स्वास्थ्य विभाग के पास आरटीपीसीआर जांच किट उपलब्ध नहीं है, जबकि रैपिड एंटीजन किट भी बहुत कम हैं। सूत्रों के अनुसार किट के अभाव में सिविल अस्पताल के अलावा जिले के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक कोरोना जांच शुरू नहीं हो पाई है।
दूसरी लहर में टेस्टिंग कोरोना को हराने में मददगार
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए टेस्टिंग, ट्रेसिंग और इलाज अहम हथियार माने गए। एंटी-कोरोनावायरस टीकाकरण की शुरुआत के बाद, टीका भी एक महत्वपूर्ण हथियार बन गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने बेहतर तैयारी का दावा किया था और मॉक ड्रिल में सबकुछ अच्छा दिखाया गया, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। किट की कमी के कारण सैंपलिंग क्षमता बढ़ाने में स्वास्थ्यकर्मी नाकाम साबित हो रहे हैं।
आरटीपीसीआर टेस्टिंग की ठप पड़ी व्यवस्था
इस बार टेस्टिंग की हालत ऐसी है कि केबिन पर धूल जमी पड़ी है। हालांकि सिविल अस्पताल की आईडीएसपी लैब में स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है और यहां रैपिड एंटीजन किट से जांच भी की जा रही है,
लेकिन आरटीपीसीआर जांच नहीं की जा रही है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुजेसर में स्वास्थ्य कर्मी को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए एल्युमिनियम केबिन तैयार किया गया था।
स्वास्थ केंद्रों की महत्व में आई कमी
केबिन के अंदर से हाथ निकालकर सैंपल लेते स्वास्थ्यकर्मी। कोरोना संक्रमण के कमजोर पड़ने के बाद केबिन का महत्व कम हो गया और अब इस पर धूल जम गई है। इसके अलावा यहां किसी कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगाई गई है। एसी नगर स्वास्थ्य केंद्र व डबुआ स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति जस की तस बनी रही।