देश में जब भी परमाणु ऊर्जा केंद्र की बात होती है तो सभी का ध्यान दक्षिण भारत की ओर जाता है। लेकिन अब मोदी सरकार ने उत्तर भारत की ओर ध्यान दिया है। उत्तर भारत में भी अब परमाणु संयंत्र होगा और यह हरियाणा के गोरखपुर में लगने जा रहा है। इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार की स्वीकृति भी दे दी है। यह संयंत्र राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महज 150 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
उत्तर भारत के पहले न्यूक्लियर पावर प्लांट की पहली यूनिट साल 2028 के जून महीने तक अपना काम करना शुरू कर देगी। बता दें कि यह प्लांट हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव में लगेगा। इसको लेकर हरियाणा सरकार और गोरखपुर हरियाणा परमाणु विद्युत परियोजना के अधिकारियों को मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में बैठक की।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ाने की प्राथमिकता के अनुरूप पिछले 8 सालों में कई क्रांतिकारी फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 10 परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए एक व्यापक स्वीकृति दी है।
न्यूक्लियर पावर प्लांट प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी देते हुए गोरखपुर हरियाणा परमाणु विद्युत परियोजना के निदेशक निरंजन कुमार मित्तल ने कहा कि जमीन के सुधार का लगभग काम 74% तक पूरा हो चुका है। इसके अलावा पहली यूनिट के एनफील्ड ऑल टीम जनरेटर जैसे रिएक्टर डिवाइस भी साइट पर पहुंच चुके हैं।
गोरखपुर हरियाणा अनू विद्युत परियोजना जिसमें 700 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां हैं जिनमें से हर एक से प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर स्वदेशी डिजाइन है जो हरियाणा में फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव के पास कार्यान्वयन के अधीन हैं। अब तक कुल धनराशि 20,594 करोड मे से 4,906 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी हैं।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने प्रोजेक्ट साइट को हाईवे से जोड़ने के लिए सड़क बनाने का निर्देश दिया। इसके लिए उन्होंने लोक निर्माण विभाग और फतेहाबाद जिला प्रशासन को संयुक्त रूप से काम करने के लिए कहा और इन सड़कों से प्लांट तक परिवहन की सुविधा होने से काम में तेजी आएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मल्टी स्टोरी रेजिडेंशियल टावर के निर्माण का कार्य अंतिम चरण तक पहुंच गया और उसका काम अगले महीने तक पूरा होने की संभावना