शहर में साफ़ सफ़ाई की इतनी सुविधा होने के बाद भी शहर की सड़कों, गलियों और सोसाइटियों में कूड़े कचरे के ढेर लगे हुए है। फिलहाल शहर की साफ सफाई के लिए प्रशासन ने करीब चार हज़ार सफ़ाई कर्मी नियुक्त किए हुए है, 150 से ज्यादा कूड़ा उठाने वाले वाहन है और हर साल प्रशासन खरीब 150 करोड़ रुपए शहर की साफ़ सफ़ाई पर खर्च करता है।
लेकिन आलम है कि शहर फ़िर भी साफ सफ़ाई के मामले में दूसरे शहरो से पीछे रहता है। दरअसल अभी हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 का परिणाम आया है, जिसमें फ़रीदाबाद को पूरे देश में 381 और प्रदेश में 19 वी रैंक मिली है।
शहर की इतनी ख़राब रैंक आने वाले प्रशासन के सभी अफसरों ने अपने अलग अलग बयान दिए है। इन अफसरों में से फरीदाबाद नगर निगम के MOS डॉ. नितीश का कहना है कि,”फरीदाबाद की सफाई का जो सर्वे आया है, वह पुराना है। पिछले दिनों नगर निगम ने स्मार्ट सिटी 150 खतों को बंद किया है। इसके अलावा प्राइमरी वेंडरों के 40 व्हीकल भी बढ़ाए हैं और काफी चालान भी किए हैं।”
वही सफाई कर्मचारी यूनियन प्रधान गुरुचरण खंडिया का कहना है कि,”फरीदाबाद नगर निगम की आबादी लगातार बढ़ रही है। 24 गांवों को भी बढ़ा दिया गया। काफी नई कॉलोनियां विकसित हो गई, लेकिन सफाई कर्मचारियों की वर्ष 2001 से कोई नई भर्ती नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में सफाई कराना काफी मुश्किल है। यह सर्वे पुराना हैं।”
इनके अलावा नगर निगम के नोडल अधिकारी पदम भूषण का कहना है कि,”स्वच्छता रैंकिंग गिरने के लिए ग्रीन कंपनी जिम्मेदार है। जुर्माना लगाने के बाद भी कंपनी ने अपना काम सही ढंग से नही किया। अब इसे हटाने की तैयारी की जा रही है।”