फरीदाबाद जिले के नागरिक अस्पताल में गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते, उन्हें प्राथमिक देखभाल के बाद सीधे दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। ट्रॉमा सेंटर की अनुपस्थिति के कारण यह स्थिति न केवल फरीदाबाद, बल्कि आस-पास के जिलों, विशेष रूप से पलवल के मरीजों के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है।

दुर्घटना, जलने, सिर की गंभीर चोट, ऊंचाई से गिरने या अन्य घातक परिस्थितियों में घायल मरीजों को स्थानीय स्तर पर ट्रॉमा के अनुसार तत्काल उपचार नहीं मिल पाता। ऐसे में तीमारदारों को आनन-फानन में दिल्ली स्थित अस्पतालों का रुख करना पड़ता है जहां तक पहुंचने में समय, साधन और खर्च तीनों की भारी चुनौती होती है।

बीके नागरिक अस्पताल से हर महीने औसतन 240 से अधिक गंभीर मरीज दिल्ली रेफर किए जाते हैं। संसाधनों की कमी के कारण इनमें से कई मरीजों की हालत रास्ते में ही बिगड़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधा जिला स्तर पर उपलब्ध हो, तो बड़ी संख्या में जानें बचाई जा सकती हैं।

गौरतलब है कि बीके अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर बनाने की योजना को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य विभाग कई बार इस संबंध में राज्य मुख्यालय को पत्र भेज चुका है, लेकिन न तो निर्माण एजेंसी तय हुई है और न ही किसी तरह की ठोस प्रगति देखी गई है।
स्थानीय नागरिकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने मांग की है कि ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाए, ताकि जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों को समुचित इलाज मिल सके और उन्हें दिल्ली भेजने की मजबूरी से राहत मिल सके।



