फरीदाबाद शहर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। सड़कों पर दौड़ते वाहनों से निकलता धुआं, ढाबों पर जलते तंदूर और निर्माण कार्यों की धूल ने माहौल को दमघोंटू बना दिया है। स्थिति यह है कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर दिवाली के बाद के दिनों से भी ज्यादा दर्ज किया जा रहा है, जबकि प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदम केवल औपचारिकता भर नजर आ रहे हैं।

बृहस्पतिवार सुबह से ही शहर में घनी धुंध छाई रही। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और गले में खराश जैसी समस्याएं महसूस हुईं। बच्चे और बुजुर्ग मास्क लगाकर घरों से निकलने को मजबूर हैं। अस्पतालों में सांस और एलर्जी से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।

प्रशासन की ओर से सड़कों पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन चलाने की कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित है। शहर के कई हिस्सों में न तो नियमित सफाई हो रही है और न ही प्रदूषण नियंत्रण के निर्देशों का पालन।
वहीं, दिल्ली में जहां वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए क्लाउड सीडिंग कराई जा रही है, फरीदाबाद में मौसम ने कुछ राहत जरूर दी है। बीते दो दिनों से खराब मौसम के बाद बृहस्पतिवार को हुई हल्की बारिश से हवा में मामूली सुधार दर्ज हुआ। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह राहत अस्थायी है।

दिवाली के बाद शहर का प्रदूषण स्तर करीब 300 AQI के आसपास था, जबकि फिलहाल हालात इससे भी बदतर हैं। बल्लभगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से पार पहुंच गया है। चिंता की बात यह है कि फरीदाबाद में प्रदूषण मापने वाली चार मशीनों में से तीन फिलहाल बंद हैं।
इन मशीनों की बार-बार खराबी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही को उजागर करती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं।



