भाजपा के 24 साल पुराने सहयोगी दल ने ऍन मौके पर छोडा पार्टी का साथ पड़ी फूट

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भाजपा के 24 साल पुराने सहयोगी दल ने ऍन मौके पर छोडा पार्टी का साथ NDA में पड़ी फूट किसान की क्रांति ने इस समय राजनीति की नींव को हिला कर रख दिया है सरकार के एक फैसले ने किसान को रोड पर लाकर बैठा दिया और पंजाब में रेल पटरी पर बैठकर जाट आंदोलन वाला मंजर एक बार फिर से जीवंत हो गया।

हालांकि देश के प्रधानमंत्री ने इस कृषि बिल पर विपक्ष पर भ्रमित करने का आरोप लगाया। लेकिन रविवार तक राजनैतिक परिस्थितीय बदल गई।

भाजपा के 24 साल पुराने सहयोगी दल ने ऍन मौके पर छोडा पार्टी का साथ NDA में पड़ी फूट

इसके किसान क्रांति के कारण NDA फुट पड़ गई है करीब 24 सालों से एनडीए के साथ रही शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर ने पहले सरकार का साथ छोड़ा और पार्टी को नमस्ते बोल दिया।

24 साल पुराने सहयोगी थी दोनों सरकार

जिस बिल को भाजपा किसान का हितेष बता रही वही बिल पार्टी के गठ्बंधन को तोड़ने का कारण बन गया। इस बिल के पास होते विपक्ष ने सरकार पर दवाब बनाते हुए बिल को बापस लेने को कहा। इसको लेकर २४ साल का साथ देने वाले शिरोमणि अकाली दल ने पहले सरकार का साथ छोड़ा और अब 9 दिन बाद अकाली दल एनडीए के कुनबे से बाहर हो गया.

बड़ा सवाल ये है कि क्या शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस के ट्रैप में फंस गया. किसान बिल को लेकर पंजाब और हरियाणा में ही विरोध है. खास तौर पर पंजाब में किसान आंदोलित हैं और शिरोमणि अकाली दल के लिए ये बड़ी मुसीबत है.

किसान जनाधार है अकाली पार्टी

किसान अकाली दल का बड़ा जनाधार रहे हैं. किसान बिल पर मोदी सरकार के साथ दिखने से किसानों की नाराजगी का डर था. 2022 के विधान सभा चुनाव में किसान कांग्रेस के पक्ष में जा सकते थे और इसीलिए राजनीति तेज है. कांग्रेस इसे सोची-समझी रणनीति बता रही है.

हालांकि अकाली दल के बाहर होने से लोकसभा में बीजेपी के पास खुद का बहुमत है और अकाली दल के लोकसभा में दो और राज्यसभा में तीन सांसद हैं. इसलिए मोदी सरकार के लिए फिलहाल कोई चुनौती नहीं लेकिन अपने पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल के नाता टूटने से अभी थोडा दर भाजपा को बना रहना लाज़मी