कम हुआ महामारी का आतंक, एक्टिव मरीजों से ज्यादा बढ़ा रिकवरी रेट

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कम हुआ महामारी का आतंक, एक्टिव मरीजों से ज्यादा बढ़ा ठीक होने की दर इससे महामारी की दर कम होती नजर आ रही है फरीदाबाद जिले में कोरोना वायरस का संक्रमण ना सिर्फ तेजी से आमजन को अपनी गिरफ्त में ले रहा था बल्कि इसका आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। ऐसे में एक राहत भरी खबर यह सामने आई है

सितंबर माह में कोरोना वायरस का प्रकोप कमजोर होता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि सितंबर माह के आंकड़े जो स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं वह दर्शा रहे हैं।

कम हुआ महामारी का आतंक, एक्टिव मरीजों से ज्यादा बढ़ा रिकवरी रेट

सितंबर में सामने आए मरीजों के आंकड़ों के मुताबिक पिछलेेे कुछ महीनों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। इस महीने की शुरुआत से ही मरीजों की संख्या बढ़ने लगी और रेट गिरने लगा था, लेकिन वहीं अब कुछ दिनों से नए मरीज मिल रहे हैं। जिसमें ठीक होने की दर फिर से सामान्य होने लगा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक 30 सितंबर को जिले का रिकवरी रेट 92. 5 प्रतिशत दर्ज किया गया था।

वहीं अगस्त माह की बात करें तो अगस्त में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रण में थी । मरीजों की संख्या काफी कम थी और महीने के अंत तक रिकवरी रेट 92. 9 प्रतिशत तक पहुंच गया था। सितंबर के शुरुआती सप्ताह से कोरोना के नए मरीजों के मिलने की संख्या बढ़ने लगी। इसका असर रिकवरी रेट पर पड़ा।

12 सितंबर तक रिकवरी रेट 88.6 प्रतिशत रह गया। इसके बाद यह 88 व 89 प्रतिशत के आसपास बना रहा, लेकिन एक सप्ताह में नए मरीजों की संख्या में कुछ कमी आनी शुरू हुई है, और उनके ठीक होने का सिलसिला पहले की तरह जारी है।

इतना हुआ रिकवरी रेट

ऐसे में रिकवरी रेट एक बार फिर से बढ़ने लगा है अब ठीक होने की दर 92. 5 पहुंच चुका है। रिकवरी रेट बढ़ने वाले मरीजों की संख्या में कुछ कमी आने के कारण एक्टिव केस रेट में भी सुधार हुआ है।

सितंबर के मध्य तक एक्टिव के 11 प्रतिशत तक पहुंच गया था, जो अब घटकर 6.4 प्रतिशत ही रह गया है। वहीं इस बाबत जानकारी देते हुए डिप्टी सिविल सर्जन डॉ राम भगत ने बताया कि सितंबर से एकदम से नए मरीजों की संख्या बढ़ गई थी। जिसका असर पिछले कुछ दिनों से रिकवरी रेट पर पड़ा था। वही अब कुछ दिनों से रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की संख्या 200 से नीचे बनी हुई है। जिसके चलते रिकवरी रेट व एक्टिव केस में भी सुधार हुआ है।