हरियाणा सरकार ने प्रदेश की मंडियों में चल रही खरीफ फसलों की खरीद में लिए, यह बड़े निर्णय

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    खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी के दास ने आज यहां इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने निर्णय लिया है कि राइस मिलर्स की मांग के अनुरूप ज्यों-ज्यों धान की खरीद होगी, त्यों-त्यों आढ़तियों द्वारा उसी दिन बिलिंग की जाएगी। इसी प्रकार, धान का उठान 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर सुनिश्चित किया जाएगा ताकि मंडियों में किसी को असुविधा न हो।

    इस संबंध में विभाग द्वारा ट्रांसपोर्टर्स को दिशानिर्देश जारी किए गये हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी कारणवश ट्रांसपोर्टर्स 24 घण्टे में उठान करने में असमर्थ रहता है तो उस स्थिति में जिला उपायुक्तों को अधिकृत किया गया है कि वे उसी रेट पर किसी अन्य ट्रांसपोर्टर्स की सेवाएं ले सकते हैं।

    अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के.दास ने स्पष्ट किया है कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा जारी नियमानुसार धान की खरीद प्रक्रिया की जा रही है तथा हर कस्टम मिल्ड राईस स्टेशन पर डिजिटल सैंपलिग मशीन लगवाने के लिए निगम को पत्र लिखा गया है। सी.एम.आर अनुपात राशि 15 से बढ़ाकर 25 की जाएगी। उन्होंने बताया कि सी.एम.आर कार्य पूरा होने के एक माह के उपरान्त बिलों की अदायगी की जाएगी।

    उन्होंने बताया कि मिल के भाीतर ट्रक के पहुंचने के पश्चात मिलर को 4 घंटे में अनलोडिंग करवानी अनिवार्य है। इसी प्रकार राइस मिलर्स पहले की भांति 50 प्रतिशत बारदाना जीरी के लिए ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि विगत सीजन का तिरपाल का किराया यदि किसी मिलर या आढ़ती का बकाया है तो उसका भुगतान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिज़ीकल वैरीफिकेशन पहले की तरह ही की जाएगी।

    उन्होंने बताया कि धान में नकू, टुकड़ा, बुलबुल, सिल्की पालिश, फक व अन्य बाय प्रोडक्ट को फिज़ीकल वैरीफिकेशन करते समय गिनने के लिए भी केंद्र सरकार को लिखा जाएगा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष लगभग 12 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल की बुआई हुइ है तथा 68 लाख मीट्रिक टन लेवी धान की आवक होने का अनुमान है तथा खरीद प्रक्रिया 15 दिसंबर तक जारी रहेगी।

    श्री दास ने बताया कि धान बाहुल्य करनाल व कुरुक्षेत्र सहित आठ जिलों में विधिवत रूप से धान की खरीद चल रही है। इसी प्रकार बाजरे के लिए आज से 2150 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ सरकारी खरीद शुरू की गई है।