निकिता को इंसाफ दिलाने की मुहिम अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू हो चुकी है। इससे पहले मामले की सुनवाई निचली अदालत में भी चली थी। जिसके बाद में इस पूरे प्रकरण को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।
अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख दे दी गई है। वही 23 तारीख को ही आरोपियों के ऊपर लगाए गए सभी आरोप तय किए जाएंगे, जिसके बाद आगे की कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जा सकेगी।
वही सुबह नीमका जेल में बंद निकिता मामले में शामिल तीनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया गया। वही सुबह करीब 10 बजे राकेश कादयान की अदालत में शुरू हुई सुनवाई के बाद दोपहर को मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज वासवाना की अदालत में भेज दिया गया था।
जहां दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने अपने मुद्दों पर चर्चा करते हुए जमकर बहस की। आरोपियो के पक्ष के वकील अनीस खान ने कहा कि आरोपी तौसीफ, रेहान और अजरुद्दीन को नीमका जेल में सुरक्षा का खतरा है।
आरोपियों के वकीलों ने आगे यह भी कहा कि उन्हें गुरुग्राम की भोंडसी जेल में शिफ्ट कर दिया जाए। इसके पीछे कारण बताते हुए उन्होंने बताया कि बल्लभगढ़ के दशहरा मैदान में हुई महापंचायत के दौरान हुए उपद्रव के 32 आरोपी भी नीमका जेल में ही बंद हैं। उक्त सभी आरोपियों में उनके मुव्वकिलों को लेकर काफी रोष पनप रहा है।
ऐसे में यह सभी आरोपी कभी भी तौसीफ व उसके साथियों पर हमला कर सकते हैं। इस पर न्यायाधीश ने जेल अधिकारियों को तौसीफ व उसके साथियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही न्यायाधीश ने आरोपियों को भोंडसी जेल में शिफ्ट करने की अर्जी को खारिज कर दिया।
26 अक्टूबर को हुए निकिता गोलीकांड में इस दुनिया को अलविदा कह चुकी निकिता के परिजनों ने बताया था कि 2 साल पहले भी तौसीफ खान नामक व्यक्ति ने उनकी बेटी निकिता का अपहरण करने का प्रयास किया था जिसमें में विफल रहा था।
ऐसे में अब कोर्ट ने दोबारा 2 साल पुराने अपहरण मामले की जांच को भी मंजूरी दे दी है। इस मामले में पुलिस की ओर से कोर्ट में अर्जी लगाकर मामले की दोबारा जांच करने की गुहार लगाई गई थी। अर्जी पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यदि जांच एजेंसी को लगता है कि मामले की जांच जरूरी है, तो वह इसके लिए स्वतंत्र है।
उधर, तौसीफ व उसके साथियों के वकील अनीस खान ने पुलिस आयुक्त को एक लिखित शिकायत दी है। इसमें उन्होंने सोशल साइट पर खुद को जान से मारने की धमकी मिलने की बात कही है। उन्होंने शिकायत के साथ कुछ स्क्रीन शॉट भी पुलिस को उपलब्ध कराए हैं।
पुलिस फिलहाल आरोपों की जांच कर रही है। अधिवक्ता का कहना है कि वह पेशे से वकील हैं। उनके लिए तौसीफ व उसके साथियों का मामला केवल एक केस है। कुछ लोग इसे जातिगत रंग देकर सोशल साइट पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं, जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस को दी है।
बचाव पक्ष के वकील अनीस खान ने बताया कि बल्ल्भगढ़ में पिछले दिनों हुई हिंसा मामले में पुलिस ने जिन हिंदू संगठनों के लोगों को जेल भेजा है, उनसे उनके मुवक्किलों को जान का खतरा है। इसलिए जेल ट्रांसफर के लिए अनीस खान ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।