हरियाणा सरकार विकास को और अधिक बढ़ावा देने के लिए रूपरेखा तैयार करते हुए किसानों को प्राथमिकता दे रही है और इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार में पहली बार किसानों द्वारा बायोफोर्टीफाइड गेहूं की खेती की जाएगी जिसके लिए किसानों को पहले ही गेहूं की 2 खास किस्म जैसे बीएचयू-31 व पीबीडब्ल्यू 1 जेडएन के बीज उपलब्ध करवाए जा चुके हैं।
बताते चलें कि गेहूं के दोनों किस में है वह पूरी तरह से यूसी आर्गेनिक हैं। वही पलवल के हथीन व हलके के गांव कलसाडा को इस खास किस्म की खेती के लिए चयनित किया गया है।
इस कार्य में किसानों के लिए हारवेस्ट प्लस के सहयोग से रूरल डेवलपमेंट काउंसिल मददगार साबित होगी। वही बता दे कि हरियाणा बागवानी विभाग के मिशन डायरेक्टर बीएस सहरावत बतौर तकनीकी सलाहकार इस परियोजना की निगरानी करेंगे।
वही इस परियोजना के तहत गांव कलसाडा के किसानों को 50 एकड़ के लिए बायो फोर्टिफाइड गेहूं की दोनों किस्मों के बीज निशुल्क उपलब्ध करवा दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त किसान पहली बार यह खेती करेंगे तो इसके लिए पहले ही किसानों को व खेती पूरी तरह विशेषज्ञों की निगरानी में रखा जाएगा।
वही विशेषज्ञ नियमित तौर पर खेतों का दौरा भी करेंगे और इस जैविक खेती के लिए खेतों में ही किसानों को प्रशिक्षण भी देंगे।
विशेषज्ञों ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने और कुपोषण को खत्म करने के दृष्टिगत इस बायो फोर्टिफाइड गेहूं की खेती बहुत फायदेमंद साबित हुई है। इस गेहूं का उत्पादन भी अन्य गेहूं की किस्मों से प्रति एकड़ 7 से 9 प्रतिशत तक अधिक रहता है, जबकि इन किस्मों की गेहूं की मांग बाजार में बहुत ज्यादा है।
लिहाजा निजी मंडियों में किसानों को इसका दाम भी एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से आठ प्रतिशत तक अधिक मिल सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की इन किस्मों में लोगों की सेहत के लिए जरूरी प्रोटीन, एमिनो एसिड, जिंक, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मौजूद हैं। इसीलिए गेहूं की ये किस्में कुपोषण से लड़ने में भी कारगर साबित होंगी।
बताते चलें कि हरियाणा के जिन गांवों को बायो फोर्टिफाइड गेहूं की खेती के लिए चुना जाएगा, उन्हें न्यूट्रिशियन गांव के नाम से संबोधित किया जाएगा। वही फिलहाल अभी तक प्रदेश में इस किस्म की खेती केवल 50 एकड़ में की जा रही है।
बावजूद इसके अभी से ही इसकी खेती करने वाले किसानों को आगामी सीजन के लिए ढाई हजार एकड़ के लिए बीज तैयार का आर्डर भी प्राप्त हो चुका है। वही विशेषज्ञों ने आगे बताया कि फसल की अपेक्षाकृत तैयार बीज का दाम बाजार में अच्छा मिलता है, इसलिए इसकी खेती करने वाले किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ होगा।
बीएस सहरावत, मिशन निदेशक एवं तकनीकी ने बताया कि देश में बायो फोर्टिफाइड गेहूं की करीब 35 किस्में मौजूद हैं। इनमें से दो किस्मों की खेती हरियाणा में विशेषज्ञों की निगरानी में शुरू करवाई जा रही है। अभी इसका पहला चरण हैं। आने वाले समय में इसका रकबा बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
यह खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होगी और किसानों की आमदनी भी अपेक्षाकृत बढ़ेगी। हारवेस्ट प्लस की ओर से किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस तरह के न्यूट्रिशियन गांवों की संख्या प्रदेश में और बढ़ेगी।