सर्दियों में कपकपाहट दूर करने के लिए धूप में बैठकर आनंद लेना भला किसे पसंद नहीं होता। दिसंबर माह की शुरुआत हो चुकी है और जहां अभी तक सर्दी का अनुभव कम व ना बराबर था वही आज से सर्दी कपकपाहट महसूस की जा रही है।
जहां सुबह हल्की हल्की ठंड तो दोपहर होते ही गरम मौसम का अनुभव तथा शाम और रात की ठंड का दृश्य शरीर को एक अलग ही अंदाज से मौसम के मिजाज से रुबरु करा रहा है।
सुनने में तो यह जितना सुखदाई लग रहा है। लेकिन वही पूरी रात और शाम सड़कों पर गुजार कर अपने लिए न्याय की गुहार लगाते हुए सैकड़ों किसानों की स्थिति का अंदाजा लगाना आपके और हमारे सोच से बाहर हैं।
हम बात कर रहे हैं उन किसानों की जो कृषि अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर डेरा जमाए 10 दिन से अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। वही बता दे कि मौसम का मिजाज बदल रहा है और दोपहर की धूप शाम होते-होते ठंडी हवाओं में तब्दील हो रही है। ऐसे में 10 दिनों से लगातार किसान अपनी मांग के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
वैसे तो हमारा भारत किसानों को अन्नदाता के नाम से संबोधित करता है, लेकिन बदलते देश की तस्वीर ने आज भारत के पालन पोषण करने वाले अन्न दाताओं को ही सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर कर दिया है।
जहां पूरा देश आज अपना भरण-पोषण कर आराम से अपने-अपने घरों में चैन की नींद ले रहे हैं। वही भारत के लिए अन्न उगाने वाले और दिन रात मेहनत करने वाले किसान अपने लिए न्याय की गुहार लगाने के लिए सड़कों पर रात गुजार रहे हैं।
अजीब है ना, जिस अन्नदाता ने हर व्यक्ति के पालन पोषण के लिए दिन रात मेहनत करके अन्न उगाता आज वही अन्नदाता सड़क पर उतर कर कृषि बिल का विरोध कर रही है। जहां, आज यानी 5 दिसंबर को अपनी मांग ना पूरी होने से खफा अन्नदाता ने जगह-जगह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया। वही आने वाले 8 दिसंबर को अन्नदाता भारत बंद के लिए आव्हान कर चुके हैं।