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बीच मझधार में फंसी सरकार, नहीं निकला कोई दूसरा हथियार तो तेज होगी आंदोलन की रफ्तार

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भारत बंद प्रकरण को धरातल पर किसानों द्वारा लागू करने के बाद अब सरकार द्वारा किसानों के साथ होने वाली छठे दौर की बैठक रद्द हो चुकी है। ऐसे में जहां आंदोलन को खत्म करने की बात सामने नहीं आ रही है। वही लगातार न्याय न मिलने के बाद किसानों द्वारा आंदोलन तेजी से बढ़ाया जा रहा है।

किसान अभी भी अपने जवाब के लिए टस से मस नहीं हुए हैं। उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाले जवाब का बेसब्री से इंतजार हैं। एक बात तो निश्चित है अगर अब भी जवाब किसानों के पक्ष में नहीं आया तो, आंदोलन का तेज होना लाजमी है।

बीच मझधार में फंसी सरकार, नहीं निकला कोई दूसरा हथियार तो तेज होगी आंदोलन की रफ्तार

वही अब संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने स्पष्ट कह दिया है कि ‘हमला चाहे जैसा हो लेकिन हाथ हमारा नहीं उठेगा।’ वही नेताओं ने इस बात को भी स्वीकार किया कि वह आंदोलन को हिंसक का रूप नहीं लेने देंगे। उन्होंने कहा वह तो पहले ही कह चुके हैं कि 6 महीने का राशन साथ लेकर आए हैं। इसलिए सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार नहीं करती तो वह दिल्ली की सीमाओं को ऐसे ही जमे रहेंगे।

राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों के सैकड़ों किसानों द्वारा भारत की राजधानी दिल्ली को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न सीमाओं पर पुलिस बल द्वारा किसानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और धक्का-मुक्की जैसे शिकायतें भी निकल कर आई है।

बीच मझधार में फंसी सरकार, नहीं निकला कोई दूसरा हथियार तो तेज होगी आंदोलन की रफ्तार

उन्होंने कहा इतना सब कुछ देखने और सुनने के बावजूद भी उनकी तरफ से किसानों को अहिंसा का सामूहिक प्रण दिलवा रहे हैं। पुलिस के सामने ही किसान ‘….हमारा हाथ नहीं उठेगा’ प्रण को नारेबाजी करते हुए काफी देर तक दोहराते हैं और पुलिस को बताते हैं कि वे उनका जोर सहने को तैयार हैं, मगर हटने को नहीं।

वैसे तुम मौजूदा वक्त और हालात देखते हुए किसान आंदोलन को विभिन्न संगठनों से लेकर विपक्षियों का पूर्ण और पूर्व जोर से समर्थन मिल रहा है। उधर किसान नेता यह बात पहले ही शीशे की तरह स्पष्ट कह चुके हैं कि उनके द्वारा किए जाने वाले आंदोलन का किसी भी गैर राजनीति से कोई संबंध नहीं है,

बीच मझधार में फंसी सरकार, नहीं निकला कोई दूसरा हथियार तो तेज होगी आंदोलन की रफ्तार

और ना ही वह किसी संगठन को अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए आगे बढ़ने देंगे। उधर, रेलकर्मियों की उत्तर रेलवे मैन्यू यूनियन ने भी किसानों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है। यूनियन के महामंत्री बीसी शर्मा और नेता प्रभाकर ने बताया कि बंद को भी उनकी यूनियन का पूरा समर्थन है।

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