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फरीदाबाद का किसान : अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हुए ही नहीं भुला पेट भरने की जिम्मेदारी

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भारत देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता था लेकिन आधुनिकता के चलते यह पहचान बेशक फीकी पड गई है ,लेकिन बिना किसान के भारत देश का अस्तित्व कमजोर दिखाई देता है क्योंकि एक समय था।

जब देश की धरती में उगने वाले अन्न को सोना चांदी कहा जाता था वही आज अपनी मेहनत से अन्न उगाने वाला किसान सड़को पर धक्के खा रहा है।

फरीदाबाद का किसान : अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हुए ही नहीं भुला पेट भरने की जिम्मेदारी

एक तरफ जंहा पंजाब व हरियाणा का किसान आंदोलन पर बैठा है। वही सिंघु बॉर्डर से करीब 60 किलो मीटर की दुरी पर फरीदाबाद का किसान अपनी जिम्मेदारी को निभा रहा है। यह किसान अपने खेतो में बुआई का कार्य कर रहा है ।

बेशक पुरे देश में आंदोलन की चिंगारी फैली हुई हो। परन्तु जिस कारण इनको अन्नदाता का नाम दिया जाता है उसे यह साकार कर रहा है।

फरीदाबाद का किसान : अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हुए ही नहीं भुला पेट भरने की जिम्मेदारी

यह वक्त चारो और किसान हल्ला बोल गूंज रहा है हक़ की लड़ाई किसानो को पंजाब व अन्य राज्यों से दिल्ली की सीमा तक खींच लाई है, 15 दिनों से किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर बैठे है ।

लेकिन इसमें एक सोचने वाली बात है की किसान अगर इस समय बुआई नहीं करेगा तो इस वक्त जिन अनाजों की खेती होती है उनकी कमी बाजारों में आने लगेगी। .

फरीदाबाद का किसान : अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हुए ही नहीं भुला पेट भरने की जिम्मेदारी

यह समय किसानो द्वारा रबी की बुआई का है जब इस बारे में किसानो से बात की गई तो उन्होंने बताया की सब बाद में पहले फसल जरुरी है । क्योंकी जब खेती ही नहीं होगी तो अनाज कहा से मिलेगा और ऐसी स्तिथि में भारत का पेट भरेगा इसको देखते हुए किसानो ने खेतो की और रुख कर लिया है ।

फरीदाबाद का किसान : अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हुए ही नहीं भुला पेट भरने की जिम्मेदारी

क्योंकि हर किसान का पहला फर्ज खेती है उसके सारे काम बाद में है उनका कहना है की यदि कुछ अच्छा होता है । तो इससे सभी को फायदा होगा जब खेतो पर जाकर देखा गया तो वह ऊपर कोई अपनी गेहू में पानी लगता हुआ दिखाई दिया तो कोई सब्जी को निराई करता दिखा।

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