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लो भई नेकी और पूछ पूछ, किसान आंदोलन के बीच अब टुकड़े टुकड़े गैंग ने की भी कूच

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किसान आंदोलन को जहां विपक्षी दल का समर्थन लगातार और रफ्तार से मिल रहा है। वहीं पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ अलग-थलग संगठन भी आकर शामिल हो रहे हैं। जिनका ना तो खेतीबाड़ी से कोई लेना-देना है और ना ही किसानों से।

बावजूद वह अपनी राजनीति रोटियां सेकने में कुशल साबित हो रहे हैं। जहां पिछले 13 दिनों से दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन तेजी से रफ्तार पकड़ रहा था वहीं अब 2 सप्ताह भी नहीं हुए कि यह अपने मकसद से भटकता हुआ दिखाई दे रहा है।

लो भई नेकी और पूछ पूछ, किसान आंदोलन के बीच अब टुकड़े टुकड़े गैंग ने की भी कूच

परिणाम यह निकल रहे हैं कि अब इस आंदोलन में टुकड़े-टुकड़े गैंग भी दस्तक दे चुका है। वही गैंग के कुछ एक सदस्य यहां किसान मजदूर छात्र एकता के नाम पर अपनी मनमानी करते हुए शाहीन बाघ और आजादी के नारे से जुड़े पोस्टर लगा रहे हैं।

वहीं भारतीय किसान यूनियन ऐसा सब कुछ देख भी अपना पल्ला झाड़ने में मशगूल है। वहीं, मंगलवार को अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले भी छह लोग केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।

ऑल इंडिया रेलवे मैन्स यूनियन, इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टस एसोसिएशन, क्रांतिकारी युवा संगठन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन के सदस्य भी यहां पहले ही आ धमके है। लेकिन लिमिट की दीवार तो तब पार होती हुई दिखाई थी जब गैंग ने भी किसान आंदोलन में घुसपैठ कर ली,

लो भई नेकी और पूछ पूछ, किसान आंदोलन के बीच अब टुकड़े टुकड़े गैंग ने की भी कूच

जो देश को ही तोड़ने की बात करता रहा है। वामपंथी विचारधारा वाला यह वही गैंग है, जिसने जेएनयू में भी ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारे लगाए थे। शाहीन बाग में भी इसी गैंग के लोग सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। अब वही कुत्सित प्रयास इस आंदोलन में भी शुरू हो गया है।

गैंग के सदस्यों द्वारा हाथों से बनाई हुई पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई हैं। जिन पोस्टरों में एक जगह शाहिनबाग को ही सारी दुनिया बता कर संबोधित किया हुआ है, तो वही दूसरे पोस्टर में आजादी का बखान करते हुए हम में कोई सत्ता, धर्म और राष्ट्र गुलाम नहीं बना सकता अंकित किया हुआ है।

वही गैंग की एक महिला सदस्य कुछ लोगों से यह कहती हुए नजर आईं कि शाहीन बाग के धरने को तो खत्म करा दिया था, लेकिन किसानों का आंदोलन खत्म कराना केंद्र सरकार के लिए इतना भी सरल नहीं हो पाएगा।

वहीं, इस बाबत गुरनाम सिंह चढूनी (प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा, भारतीय किसान यूनियन) का कहना है कि शाहीन बाग और आजादी जैसे मुद्दों से किसानों का कोई सरोकार नहीं है। अगर कोई संगठन हमारी मांगों का समर्थन करता है तो उसका स्वागत है अन्यथा उसके लिए यहां कोई जगह नहीं है। इस पोस्टर प्रदर्शनी के बारे में पता करके इस यहां से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान केवल अपने हक के लिए लड़न है उनका मकसद किसी भी प्रकार का हिंसक फैलाना नहीं है।

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