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कृषि कानून ने मचाया तांडव, किसानों का आंदोलन लिल गया एक और किसान के प्राण

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जिस अन्नदाता के हाथों से उगाई गई फसलों से ना सिर्फ आपका हमारा बल्कि पूरे देश का भरण पोषण होता है। आज उन्हीं अन्नदाताओं को अपने हक की लड़ाई में अपने प्राण न्योछावर करने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं अपने अधिकार मांगने के लिए सैकड़ों किसान घर से निकलकर इस कड़कड़ाती ठंड में टेंट में बैठकर सारी सारी रात गुजार रहे हैं

और केंद्र सरकार को मनाने में जुटे हुए हैं। आज एक महीना हो चुका है किसान अपना आंदोलन खत्म करने का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे मौसम के बदलते मिजाज और वातावरण में किसानों का सांस लेना मुहाल हो रहा है, उधर केंद्र सरकार के लिए मानो यह सब सामान्य है।

कृषि कानून ने मचाया तांडव, किसानों का आंदोलन लिल गया एक और किसान के प्राण

परंतु इसके भयावह परिणाम निकल कर सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को कैथल के गांव सेरधा निवासी 32 वर्षीय अमरपाल को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। यह बात जब धरने पर बैठे किसानों तक फैली तो सरकार के खिलाफ नारेबाजी और तेज होती गई।

धीरे धीरे दिसंबर माह खत्म होने को है और जनवरी में यह मिजाज अपने रंग बदल सकता है, और हालात अभी से भी रंग बदलना शुरू हो गए हैं। तो आने वाले समय में अगर यह आंदोलन अभी भी रोका या खत्म नहीं किया गया तो, इसके परिणाम क्या होंगे परिस्थितियों का जायजा लेकर लिया जा सकता है।

कृषि कानून ने मचाया तांडव, किसानों का आंदोलन लिल गया एक और किसान के प्राण

गौरतलब, वर्षीय किसान अमरपाल बाप का इकलौता पुत्र था, जबकि अमरपाल के दो बच्चे हैं। किसान अमरपाल के पास 5 एकड़ जमीन थी। किसानों की मांग है कि मृतक अमरपाल को शहीद का दर्जा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। किसान का अंतिम संस्कार आज कैथल के सेरधा गांव में किया जाएगा।

किसान अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़कर गया है। ऐसे में किसानों के मन में धीरे धीरे रोष आक्रोश में तब्दील होता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां केंद्र सरकार कृषि कानून में किसी भी तरह का बदलाव करने के लिए पहले ही हाथ खड़े कर चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ किसान भी बिना कृषि कानून में बदलाव किए घर जाने को राजी नहीं है।

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