छात्रों में इन दिनों काफी टेंशन देखने को मिल रही है। काफी टेंशन उन्हें होती है अपनी पढाई से लेकर करियर सभी बातों की। वह इन सब बातों को अपने पर हावी कर लेते हैं और जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं। एमपी देश का दिल कहलाता है, लेकिन इसी एमपी के इंदौर से जो ख़बर निकलकर कर आ रही। वह अपने आप में कई सवाल खड़े कर रही है।
माँ-बाप इस खबर से काफी स्तब्ध है। उनके पास शब्द नहीं। इंदौर के नर्मदा वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी के अफसर के बेटे सार्थक ने फांसी लगा ली। बता दें कि अफसर के बेटे ने फांसी लगायी वह उस समय घर पर अकेला था।
सार्थक के पिता जयंत विजयवत एनवीडीए में एडिशनल डायरेक्टर हैं। ऐसे में इस तरीक़े से आत्महत्या करना कोई पहली घटना नहीं जिस पर अचंभित हुआ जाएं, लेकिन जिस तरीके की बातें सार्थक के मौत के बाद उठ रही। वह अपने आपमें कई सवाल खड़े करती है। भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता, वहीं पढ़ाई और करियर का दबाव। ऐसे ही कुछ माहौल से दो चार हो रहा था सार्थक जिसके बाद उसने फांसी लगाना उचित समझा।
सार्थक का छोटा भाई वात्सल्य आईटी की कोचिंग के लिए गया हुआ था। मां अहमदाबाद में थी और पिता जॉब पर गए थे। सार्थक ने पहले कमरे में सुसाइड करने का प्रयास किया। इसके बाद बालकनी में आकर फांसी लगा ली। जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त घर में मौजूद कुत्ता बहुत देर से भौंक रहा था, लेकिन पड़ोसियों का ध्यान सार्थक के इस काम की तरफ नहीं गया।
महानगरी जीवनशैली में कहाँ किसी के पास समय होता है, ऐसा ही कुछ हुआ सार्थक के मामले में। स्वजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे तो उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसके पास से दो पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने लिखा है कि मैंने बड़ी उम्मीद से जेईई की तैयारी की थी कि कैंपस में जाकर पढ़ाई करूंगा, लेकिन आनलाइन असाइनमेंट में ही फंसा रह गया हूं। उसने अपने माता-पिता से माफी भी मांगी है।