भिखारी से सफल बिजनेसमैन बन कर लोगो के लिए मिशाल बने बेंगलुरु के रेणुका आराध्य, आज कमा रहे 40 करोड़

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 भिखारी से सफल बिजनेसमैन बन कर लोगो के लिए मिशाल बने बेंगलुरु के रेणुका आराध्य, आज कमा रहे 40 करोड़

जिंदिगी में अगर आपके पास आपकी लगन और कुछ कर दिखाने की सोच हो तो उस इंसान को कामयाब बनने से कोई नहीं रोक सकता है, यहां तक की उस इंसान की गरीबी और आर्थिक तंगी तक नहीं। आज हम इस पोस्ट में आपको एक ऐसा ही उधारण देने जा रहे है, जिससे आप अंदाजा लगा सकते है की वाकई परिस्थितियां और परेशानियां किसी को भी बढ़ने से रोक नहीं सकता।

हम बात कर रहे है, दक्षिण भारत में बेंगलुरु के पास स्थित गोपसांद्रा नामक गांव में रहने वाले 50 साल के रेणुका आराध्य के बारे में जिन्होंने भले ही गांव की कच्ची सड़क पर भीख माँगने से अपनी शुरुआत की थी, पर आज 40 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लोगो के लिए एक मिशाल बन चुके हैं।

भिखारी से सफल बिजनेसमैन बन कर लोगो के लिए मिशाल बने बेंगलुरु के रेणुका आराध्य, आज कमा रहे 40 करोड़

आपको बता दें, इससे पहले उनका जीवन काफी संघर्ष भरा था, पर उन्होंने इन सब से हार नही मान कर कठिनाइयों का डट कर सामना का डट कर सामना किया। वहीं आपको बता दें, इसकी शुरुआत उनकी 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद से हुई थी, जब उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति के घर सेवा और देख रेख का और क्षेत्र के एक मंदिर में पुजारी का काम करना शुरू किया, जो लगभग 7 साल तक चला।

पर बात यहीं खत्म नही हुई, कुछ समय बाद उनके पिता के चल बसने के कारण उनके सर पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा। जिसके बाद वे पास के फैक्ट्री में काम करने लगे, वहीं एक साल बाद उन्होंने यह काम छोड़ दिया और प्लास्टिक और बर्फ बनाने की कंपनी से लेकर बैग की ट्रेडिंग कंपनी तक में काम किया।

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इन सब के बाद उनको खुद का व्यवसाय चालू करने का ख्याल आया, जिसके लिए उन्होंने पहले सूटकेस अटैची के कवर का एक व्यवसाय शुरू किया, परन्तु 30000 रुपये के नुकसान होने के बाद उन्होंने सिक्यूरिटी गार्ड का जॉब करना शुरू कर दिया। पर जॉब करते हुए उन्हें कुछ बड़ा करने का मन किया और इस कारण उन्होंने कार ड्राइविंग सीखने का फैसला किया, और सफल ड्राइवर बनने के बाद उन्होंने एक ट्रेवल एजेंसी में ड्राइवर की नौकरी करनी शुरू की, जहां उन्हे देसी और विदेशी पर्यटक को घुमाने की वजह से सैलरी के साथ साथ अच्छी खासी टिप्स भी मिल जाती थी।

हालांकि 4 साल काम करने के बाद उन्होंने अपनी ट्रेवल कंपनी शुरू करने का रुख कर लिया। वहीं ख़ुद की बचत और बैंक लोन की मदद से उन्होंने ‘सिटी सफारी’ नाम की अपनी कंपनी और अपनी पहली कार खरीदी। बाद में उन्होंने लगभग 6 लाख में एक कैब कंपनी खरीद ली, इससे उनके पास 35 कैब आ गए।

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पर उनकी किस्मत तब चमक गई जब अमेज़न इंडिया ने प्रोमोशन के लिए उन्हें चुना और वालमार्ट, जनरल मोटर्स जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ उनके साथ डील करने लगी। वहीं अब उनकी कंपनी का टर्नओवर 40 करोड़ के पार है वहीं वे आज 150 से ज्यादा लोगों को रोज़गार भी दे रहे हैं। इसके अलावा वे आज महिलाओं को ड्राईवर बनने के लिए भी प्रोत्साहित करने और उन्हें ख़ुद की कार खरीदने में 50 हज़ार तक की आर्थिक मदद करने जैसे काम कर रहे हैं।