चरम सीमा पर पहुंची 35वें सूरजकुंड मेले की तैयार, जारी दिखा दिल्ली-बिहार के थीम स्टेट में राजनीतिक खींचतान

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 चरम सीमा पर पहुंची 35वें सूरजकुंड मेले की तैयार, जारी दिखा दिल्ली-बिहार के थीम स्टेट में राजनीतिक खींचतान<br>

संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए तीन बार स्थगित होने के बाद फरीदाबाद के अरावली वन क्षेत्र स्थित सूरजकुंड में लगने वाले 35वें अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले की तैयारी जोरों पर है। वहीं, परिसर को साफ सुथरा करने की योजना बनाई जा रही है। मेला प्रबंधन द्वारा बाकी बचे कार्यों को पूरा किया जा रहा है।


सूरजकुंड में 20 मार्च से चार अप्रैल तक अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला लगाया जाएगा। इसमें देश के सभी राज्यों समेत 30 से अधिक देश के हस्तशिल्प कलाकार भाग लेंगे। अधिकारियों की मानें तो इसमें 3000 से अधिक हस्तशिल्प कलाकारों के भाग लेने की उम्मीद है। उनकी सुविधा के लिए 1500 के आसपास हट्स तैयार की गई हैं।

चरम सीमा पर पहुंची 35वें सूरजकुंड मेले की तैयार, जारी दिखा दिल्ली-बिहार के थीम स्टेट में राजनीतिक खींचतान<br>

जबकि उनके रहने खाने आदि की भी व्यवस्था की जा रही है। परिसर में जन-सुविधा की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि अधिकारियों का कहना है यह मेला चार फरवरी से लगना था लेकिन जनवरी में कोरोना के बढ़े मामले व तीसरी लहर के चलते इसमें देरी हो गई। लिहाजा परिसर में जगह-जगह घास व गंदगी पसरी है। उसे साफ करने की योजना बनाई जा रही है।


इस मेले का आयोजन कॉविड -19 के हालत को ध्यान में रखकर लगाया जाएगा। मेला अथॉरिटी के एक्सपर्ट तमाम सुरक्षा बिंदुओं का मंथन करने के बाद मेला लगाने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 में लगने वाले इस मेले में बुलाए जाने वाले देशों की सूची बनाकर उन्हें आमंत्रित करने के काम भी चल रहा है। बता दें कि वर्ष 2020 में मेला खत्म होने के बाद कोरोना का संकट देश के सामने खड़ा हो गया था। इससे वर्ष 2021 का मेला नहीं लग पाया था।

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वहीं मेले में 10 से 12 लाख दर्शकों की भीड़ जमा होती है। मेला देखने दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा समेत हरियाणा के अन्य जिलों के लोग आते हैं। वर्ष 2021 में मेला न लगने से करीब 250 से 300 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। अकेले मेला अथॉरिटी को 30 से 35 करोड़ का नुकसान हुआ है। इस मेले में शिल्पकारों और आम जनता के बीच करीब 200 से 250 करोड़ रुपए तक का कारोबार होता है।

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मेला अथॉरिटी के नोडल अधिकारी राजेश जून ने बताया कि जम्मू एंड कश्मीर को दूसरी बार थीम स्टेट बनने का मौका मिला है। उन्होंने आगे बताया कि सूरजकुंड परिसर को आगामी 10 दिनों में साफ-सुथरा बनाया जाएगा। इसके लिए 200 से अधिक सफाई कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। इसके टेंडर जारी कर दिए गए हैं। जबकि इस राज्य से धारा 370 हटने के बाद पहली बार थीम स्टेट के रूप में आ रहा है। उन्होंने बताया कि 22 साल बाद कश्मीर को थीम स्टेट बनने का मौका मिला है। इसके पहले वर्ष 2000 में थीम स्टेट बना था। मेला को लेकर तैयारियां धीरे धीरे शुरू की जा रही है।

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पर्यटन विभागके अनुसार मेले में थीम स्टेट नहीं बनने का मुख्य कारण राजनीतिक खींचतान भी है वर्तमान में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है जबकि हरियाणा में एनडीए की इसके चलते भी दिल्ली सरकार दिलचस्पी नहीं दिखा रही हालांकि बिहार से अभी तक राजनीतिक खींचतान नहीं है इस राज्य को 35 में मेले के लिए निमंत्रण भी भेजा गया था बावजूद उन्होंने भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई अधिकारियों का यह भी कहना है कि सूरजकुंड में थीम स्टेट को लेकर बिहार में पहले भी यही सोच थी राजनीतिक के यह राज्य थे स्टेट बनने से दूर रहा है

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गौरतलब, पहला हस्तशिल्प मेला 1987 में आयोजित किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंशीलाल ने हस्तशिल्प, हस्त करघा और भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए इसकी शुरुआत की थी। शुरू के वर्षों में देशभर के विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों को आमंत्रित किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार एशियाई देशों तक होने लगा।