जैसा की आप सभी को पता ही है कि यूपी में एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए हैं। जिसके बाद पूरी यूपी की जनता बहुत उत्साह में नजर आ रही है। देश भर से योगी आदित्यनाथ को मुबारकबाद मिल रही है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ की मां को लेकर बहुत ही जरूरी खबर सामने आई है। खबर के अनुसार योगी आदित्यनाथ की मां हुयी पहली बार मीडिया के सामने आई है और उन्होंने बहुत बड़ी बात कही है। आइए जानते हैं क्या कहा है योगी आदित्यनाथ की मां ने।
जब योगी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो कुछ मीडिया वाले उत्तराखंड के पहाड़ों के बीच बसे पंचूर गांव में पहुंचे। जहां रास्ते में चलते हुए उन्होंने एक बच्चे से पूछा कि योगी आदित्यनाथ की मां कहां रहती हैं। बच्चे ने कहा यहां वह पुलिस की 2 गाड़ियां खड़ी है वहां उनका घर है।
जब मीडिया और आगे चली तो पुलिस ने रोका सिक्योरिटी जांच करी। अंदर से योगी के छोटे भाई महेंद्र की परमिशन मिलते ही पुलिस ने मीडिया वालों को मिलने की अनुमति दे दी।
संन्यास लेने से पहले योगी और मां ढेर सारे बाते करते थे। योगी मां से कहते थे मुझे लोगों की सेवा करनी है। मां कहती थीं, “फिर हमारी सेवा कौन करेगा? तो योगी जवाब देते थे, “और भाई हैं न मां।”यहां आपको बता दे, कि योगी के तीन और भाई हैं।
बता दे, बड़े भाई मानवेन्द्र और सबसे छोटे भाई महेंद्र मां के साथ ही रहते हैं। एक और भाई शैलेन्द्र फौजी हैं जो चीन बॉर्डर के पास जोशी मठ में तैनात हैं। योगी मां से इन्हीं भाइयों की बात कर रहे थे।
जब मीडिया ने मां से सवाल किया कि, क्या योगी के साथ रहना चाहती हैं? इस सवाल पर योगी की मां ने कहा, “हां, क्यों नहीं रहना चाहूंगी, लेकिन रहूंगी कहां? मीडिया ने कहा, “उन्हीं के साथ मुख्यमंत्री आवास पर रहिएगा।”
तो इसके बाद मां बोली, “हां, मैंने एक बार देखा है, वो कहां रहते हैं। मैं गई थी।” भरी हुई आवाज में बोलीं, “मैं इन पहाड़ों में ही ठीक हूं। बस एक बार उनसे मिलना चाहती हूं, घर आ जाएं। यही मेरी आखिरी इच्छा है। ये बात मां ने ऑफ कैमरा कही थी।
उनका मूड हल्का करने के लिए मीडिया वालो ने उनकी शादी के बारे में पूछा। तो वह बोलीं, “19 साल की थी तब शादी हो गई थी। पहले तीन बेटियां फिर बड़े बेटे मानवेंद्र और फिर अजय यानी योगी पैदा हुए। यहीं घर के सामने से पहाड़ों के बीच मेरा मायका दिखता है।”
हाथ से इशारा करके उन्होंने अपना मायका दिखाया। फिर कहा, “हम हमेशा गांव में ही रहे हैं। हमारे यहां खेती होती थी। फिर पति की जंगल विभाग की नौकरी लग गई। 85 रुपए तनख्वाह मिलती थी। खेती और तनख्वाह से घर अच्छा चल जाता था। बच्चे भी सब सरकारी स्कूलों में पढ़े। योगी पढ़ने में सबसे तेज थे।”
आपको बता दें यह सब बातें 10 मार्च को उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे आने के बाद की गई थी। गढ़वाली भाषा में योगी ने पूछा, “कैसी हो?” मां ने कहा, “ठीक हूं, तुम कैसे हो?” योगी ने कहा, “मैं भी ठीक हूं…” मां ने जीत की बधाई दी। फिर दोनों कुछ देर तक शांत रहे। हालात को समझते हुए छोटे भाई महेंद्र योगी से बात करने लगे। ये सब बातें महेंद्र ने हमें ऑफ कैमरा बताईं।
ऊपर बातचीत के वीडियो में आप देखेंगे, एक जगह उन्हें याद नहीं आ रहा कि पिछली बार योगी से कब मिली थीं। हालांकि, कुछ ही देर में उन्हें सब याद आ जाता है। दरअसल, योगी की मां को भूलने की समस्या पति की मृत्यु के बाद से शुरू हुई है।
हालांकि, 84 साल की उम्र में भी वो अपने सारे काम खुद ही कर लेती हैं।यहां ये जानना जरूरी है कि योगी के पिता स्व. आनंद सिंह बिष्ट फॉरेस्ट विभाग में नौकरी करते थे। रेंजर के पद से रिटायर हुए थे। 20 अप्रैल, 2020 को उनका निधन हो गया था।
योगी की मां सावित्री देवी और पिता आनंद सिंह ने अपने जीवन के 63 साल एक साथ बिताए। पति के निधन से वो दुखी हैं और इससे भी बड़ा दुख योगी से ना मिल पाने का है।
इसके बाद योगी के भाई महेंद्र ने बताया, “जब महाराज जी ने संन्यास लिया था, तब मैं 8-9 साल का था। उन्होंने मुझे अपनी गोद में खिलाया है। उनके संन्यास की खबर के बाद घर का जो माहौल था, मुझे अच्छे से याद है। मां, पिता जी और बड़ी बहनों का वो दुख मैंने देखा है, लेकिन अब सब खुश हैं।”
भाई ने आगे कहा, “साल 2017 में जब महाराज जी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब उनसे मिला था। कई सालों बाद उनसे मिलना हुआ। जब वो सामने आए उस पल को मैं बयान नहीं कर सकता। बड़े भाई को देखते ही मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे। मैं आधे घंटे तक उनके पास रहा।”
महेंद्र ने कहा, “नतीजों के बाद से ही परिवार के लोग और महाराज जी के समर्थक लगातार मिलने आ रहे हैं। बड़े भैया बीमार हैं। सब कुछ मुझे ही संभालना होता है।लोगों से मिलने, उनके रुकने और खाने से लेकर हर तरह की व्यवस्थाएं मुझे ही देखनी पड़ती हैं। यहां भजन-कीर्तन भी करवाते हैं इसलिए मैं और परिवार वहां नहीं जा पाए। हालांकि, शपथ में शामिल होने के लिए कोई संदेश नहीं आया था।”
महेंद्र ने लड़खड़ाती हुई आवाज में कहा, “2020 से पहले पूरे परिवार की जिम्मेदारी पिता जी ही देखते थे। उनके जाने के बाद से सारी जिम्मेदारी हमारे कंधों पर आ गई है। बड़े भाई मानवेन्द्र जी का स्वास्थ्य खराब है। दूसरे भाई शैलेन्द्र फौज में हैं तो ड्यूटी पर ही रहते हैं।”
भाई ने आगे कहा, “साल 2017 में जब महाराज जी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब उनसे मिला था। कई सालों बाद उनसे मिलना हुआ। जब वो सामने आए उस पल को मैं बयान नहीं कर सकता। बड़े भाई को देखते ही मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे। मैं आधे घंटे तक उनके पास रहा।”
महेंद्र ने आगे बताया, “पिता जी का देहांत हुआ था, कोरोना के चलते महाराज जी अंतिम संस्कार में नहीं आ पाए थे। साल 2017 के बाद से घर नहीं आए हैं। सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि पिता जी ने उनको मुख्यमंत्री बनते हुए देख लिया था। हम महाराज जी के संन्यासी जीवन में भावनाओं को नहीं लाना चाहते। हम कभी उनके लिए परेशानी नहीं बनेंगे, बस एक बार आकर हम सब से मिल लें।”
तब के अजय बिष्ट और अब के योगी आदित्यनाथ की पुरानी तस्वीर देखेंगे और योगी से सबसे छोटे भाई महेंद्र को देखेंगे तो आप फर्क नहीं कर पाएंगे कि कौन योगी हैं और कौन महेंद्र।इसी बात को लेकर महेंद्र का मूड हल्का करने की कोशिश की तो महेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा, “वो मेरे बड़े भाई हैं। हम एक परिवार के अंग हैं इसलिए हमारी शक्लें मिलती हैं।”