पारंपरिक खेती से हटकर, चलो कुछ नया लगाएं तथा कम लागत में ज्यादा कमाए :- देश में किसानों की स्थिति को देखते हुए, तथा प्राकृतिक आपदाओं को समझते हुए अब लोग पारंपरिक खेती के अलावा अन्य चीजों की खेती की तरफ भी अग्रसर हो रहे हैं जिनसे उन्हें कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो सकेl
इसी में अंगूर की खेती का भी नाम आता है l अंगूर की खेती करें तो उसे करीब 5 लाख तक की कमाई प्राप्त हो सकती है, और तो और इसमें लागत एक लगती है तथा कमाई कई वर्षों तक की जा सकती है l
यह बात अलग है कि शुरू में यह खेती काफी महंगी होती है परंतु यह लंबे समय तक फायदे का सौदा भी साबित होती है।
जानिए अंगूर के खेती के बारे में विशेष बातें
मूलतः अंगूर की खेती के लिए प्लांट खरीदने और बागवानी करने में शुरुआती दौर में काफी खर्च आता है। अगर किसान के पास 1 एकड़ जमीन है तो इसमें कुल 13 लाख की लागत आती है, परंतु इसके बाद 15 से 20 साल तक आप इसका लाभ उठा सकते हैं,
इस में कोई भी प्लांटिंग की फिर जरूरत नहीं पड़ती,बस मेंटेनेंस का खर्च आता है। अंगूर की खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद इस्तेमाल की जाती है।गाय का गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल करने से केमिकल फर्टिलाइजर का खर्च भी बच जाता है।
मिट्टी का सही उपयोग
अंगूर की खेती के लिए काली दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएच वैल्यू 5 से 7 तक होना चाहिए। इसके लिए वातावरण गर्म तथा शुष्क होना चाहिए। टेंपरेचर 25 से 30 डिग्री के बीच ही होना चाहिए अगर इससे ज्यादा हुआ तो फलों में रोग भी लग सकता है।
वातानुकूलित तापमान
मौसम के हिसाब से देश के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग समय पर इसकी प्लांटिंग की जाती है। उदाहरण के रूप में नॉर्थ इंडिया में फरवरी-मार्च में साउथ इंडिया में दिसंबर और जनवरी में तथा बाकी हिस्सों में नवंबर से जनवरी के बीच की जाती है।
अच्छे प्रकार के बीज
अंगूर की कई वैरायटी होती है, पहली अरका श्याम इसके फल का साइज मीडियम ऑफ कलर ब्लॉक होता है। इसका टेस्ट हल्का मीठा होता है ज्यादातर इसका इस्तेमाल शराब तथा दवाई बनाने में की जाती है।
अरका नीलमणि
अरका नीलमणि यह ब्लैक चंपा और थॉमसन सीडलेस के बीच का एक क्रॉस है। अर्का कृष्णा या ब्लैक चंपा और थॉमसन के बीच का क्रॉस है इसका पर ब्लैक कलर का होता है।जूस बनाने के लिए यह यूज किया जाता है। अरका राजसी यह अंगूर कला और ब्लैक चंपा के बीच का क्रॉस है इसका फल भूरे रंग का होता है।
सिचाई का सर्वोत्तम उपयोग
अंगूर के प्लांटिंग करने के 10 से 15 दिन के बाद इसमें ग्रोथ दिखने लगती है, इसके बाद इसको केयर की जरूरत होती है। सर्दी में तो 10 से 15 दिन के बाद इसमें सिंचाई की जरूरत पड़ती है। जिस इलाके में पानी की कमी होती है वहां ड्रिप इरिगेशन तकनीकी से सिंचाई करना बेहतर होता है।
इन जगहों पर होती है जबरदस्त खेती
देश में महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में अंगूर की खेती ज्यादा अच्छी होती है। 1 एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती के लिए करीब 4 से ₹5 लाख खर्च आता है। 2 से 3 साल के प्लांटेशन के बाद यहां फिर फल निकलने लगता है।
1 एकड़ जमीन में करीब 10 टन का प्रोडक्शन होता है। ऐसे में अगर अंगूर 80 किलो प्रति हिसाब से बीच बिक रहा है तो ₹8 लाख की तो सेल हो ही जाती है। इस तरह से 1 एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती करने से 3 से ₹4 लाख की कमाई हो जाती है।
इतने दिन में तैयार हो जाता है अंगूर का फल
और एक बार अगर अंगूर का प्लांट तैयार हो गया तो 15 से 20 साल तक यह फल देता है इसे बार-बार प्लांटिंग करने की आवश्यकता नहीं होती है।
बड़े-बड़े शहरों में आप इस पल को पहुंचा सकते हैं। दवा तथा बियर कंपनियों से भी अगर कांटेक्ट कर ले तो अधिक कमाई होती है। क्योंकि बियर तथा दवा दोनों ने ही अंगूर की जरूरत पड़ती है।