जब अजय देवगन ने कहा ‘मैं रवीना का मुंह तोड़ दूंगा’ कही चेहरा दिखने लायक नही रहेगी, बीच में ही रोकनी पड़ी थी दिलवाले की शूटिंग :- बॉलीवुड इंड्रस्टी में कई ऐसे अभिनेता है, जो बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरूवात कर चुके है, और अपने अभिनय से लोगों के दिल में एक अलग ही पहचान बना रखी है, ये कलाकार बचपन में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने के पश्चात अब बड़े होकर इंड्रस्टी के साथ साथ हम लोगों के दिलों पर राज कर रहे है।
जी हां आज हम जिसकी बात करने जा रहे है वह कोई और नही बल्कि बॉलीवुड के सिंघम अजय देवगन है। जिनकी फिल्म दिलवाले को लोगों ने काफी सराहा है। हालाकि इस फिल्म की सूटिंग के दौरान कई मजेदार किस्से हुये जो लोगों को शायद ही पता होगें। इसी क्रम में आज हम दिलवाले फिल्म के कुछ मजेदार किस्सों से आप लोगों को अवगत कराने वाले है।
दरअसल आप लोगों को यह शायरी तो याद ही होगी कि ‘हमें तो अपनों ने लूटा ग़ैरों में कहां दम था, मेरी कश्ती थी डूबी वहां, जहां पानी कम था’ बता दें कि जिस फ़िल्म का यह डायलॉग है, वो 1994 में आई ‘दिलवाले’ है जिसका आजकल एक मीम टेम्पलेट भी खूब ट्रेंडिंग है, जहां परेश रावल कहते हैं: ‘मैं थूकता हूं तेरी सूरत पर’, बहुत हुई भूमिका, अब आते हैं किस्सों पर, जो कुछ इस प्रकार से है…,
अक्षय कुमार ने क्यों रिजेक्ट कर दी थी दिलवाले ? :
एक बार की बात है, अक्षय कुमार, फ़िल्म शूट कर रहे थे ‘सुहाग’, उनके को स्टार थे अजय देवगन, ‘दिलवाले’ के डायरेक्टर हैरी बवेजा ने उन्हें अपनी फ़िल्म के लिए अप्रोच किया,
अक्षय को पहले तो लगा कि चलो करते हैं, लेकिन जब पता चला, इस फ़िल्म में लीड रोल अजय देवगन कर रहे हैं, उन्होंने फ़िल्म रिजेक्ट कर दी, और अक्षय ने कारण क्या बताया: मैं एक ही वक़्त पर सेम स्टारकास्ट के साथ दो फिल्में नहीं करूंगा।
सुनील शेट्टी को हैरी बवेजा से थी शिकायत :
हम कहते ही रहते हैं रोल-रोल पर लिखा है करने वाले का नाम, जब अक्षय कुमार ने मना कर दिया तो बवेजा पहुंचे सुनील शेट्टी के पास, सुनील ने स्क्रिप्ट सुनी, उन्हें अच्छी लगी और बन गये इंस्पेक्टर विक्रम सिंह।
शेट्टी ने बाद में कंप्लेन भी की – ‘जितना बड़ा रोल उन्हें सुनाया गया था, रोल उतना बड़ा नहीं था’, उनके सीन काट दिए गए, हालांकि उन्हें इस रोल के लिए फ़िल्मफेयर नॉमिनेशन मिला और यह मूवी उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई, इसी मूवी के बाद उनका करियर परवान चढ़ा।
दिलवाले में रवीना की जगह दिव्या भारती होतीं सपना
‘दिलवाले’ के हीरो अरुण का प्यार होती है सपना, इस रोल के लिए मेकर्स ने सबसे पहले दिव्या भारती को अप्रोच किया था, हां, वही जिन्होंने 16 की उम्र में करियर शुरू किया और 19 में गुज़र गईं, ‘दिलवाले’ के लिए बवेजा ने दिव्या को साइन कर लिया था, पर उनकी मौत हो गई
किंवदंतियों में तो यह भी है कि फ़िल्म का शूट शुरू हो चुका था, दिव्या ने कुछ सीन शूट भी कर लिए थे, पर उनकी मौत ने सब बदल दिया, तब रोल रवीना टण्डन के पास पहुंचा और उनका करियर चमक गया, इसी फ़िल्म के बाद उनकी और अजय देवगन की मार्केट वैल्यू बढ़ गई, दोनों स्टार हो गए, अजय को तो 8 फ्लॉप फिल्मों के बाद ‘दिलवाले’ के रूप में एक हिट फ़िल्म मिली थी।
जब अजय देवगन ने रवीना के लिए कहा – “उसका मुंह तोड़ दूंगा”
एक समय था जब अजय का नाम किसी न किसी एक्ट्रेस के साथ जोड़ा जाता था, वो उसे नकारते रहते थे, यही बात रवीना टंडन के बारे में भी रही, कहते हैं रवीना और अजय काफ़ी क़रीब थे, अजय की बहन रवीना की अच्छी दोस्त थीं, वो उनके घर भी आया-जाया करती थीं।
सन 1994 के आसपास रवीना-अजय का अफेयर हॉट टॉक का मुद्दा हुआ करता था, यह सब खिचड़ी ‘दिलवाले’ के शूट के दौरान ही पक रही थी, फिर बीच में करिश्मा कपूर की एंट्री हो गई और मामला गड़बड़ा गया, दरअसल अजय दो अलग-अलग फिल्में – ‘दिलवाले’ और ‘जिगर’ – रवीना और करिश्मा के साथ एक समय पर शूट कर रहे थे
कहते हैं रवीना और अजय के बीच सब सही चल रहा था फिर करिश्मा ने भांजी मार दी, टंडन ने उस समय अजय पर आरोप लगाए थे कि उन्हें कई फिल्मों से निकाला गया और उनकी जगह करिश्मा को लिया गया, अजय इसे नकारते रहे, उन्होंने कहा था: मैं मेकर्स से हीरो बदलने को कहता था,
मैं रवीना की सूरत भी नहीं देखना चाहता था, अगर वो दुनिया की आखिरी हीरोइन होंगी तब भी मैं उनके साथ काम नहीं करूंगा, ‘दिलवाले’ के दौरान रवीना इंटरव्यूज में जातीं और अपने अफेयर की बात सबके सामने बोलतीं,
वो कहतीं – मैं और अजय पहले से अच्छे दोस्त हैं, मैंने उनके साथ काफ़ी वक़्त गुज़ारा, हम लॉन्ग ड्राइव पर भी गए, उनकी बहन भी मेरी अच्छी दोस्त हैं, इसके जवाब में अजय ने एक इंटरव्यू में कहा था: रवीना की कहानियां झूठी हैं, मेरी कॉलेज के दिनों से उनसे बस हाय-हेलो वाली दोस्ती है, अगर वो ऐसी अफ़वाहें फैलाना बंद नहीं करतीं, तो मैं उनका मुंह तोड़ दूंगा, इसी अनबन के बीच रवीना ने सुसाइड करने की भी कोशिश की थी, अजय ने फ़िल्मफेयर मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू में इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया था
उन्होंने कहा था: सुसाइड करने की कोशिश करना केवल पब्लिसिटी का बहाना था, वो बस थोड़ा लाइमलाइट चाहती थीं, जो उन्हें मिल गई। रवीना कहतीं कि मुझे अजय ने लेटर्स भी लिखे हैं
जिसके जवाब में अजय ने यह आरोप लगाया था कि रवीना उनके नाम से खुद को लेटर्स लिखती हैं, अगर उनमें हिम्मत है तो चिट्ठियों को पब्लिश करके दिखाएं, मैं भी उनके इमैजिनेशन को पढ़ना चाहता हूं, उन्हें मेरे सपने देखने छोड़ देना चाहिए, अगर मैं अपने पर आ गया तो इतने राज़ खोलूंगा कि रवीना किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगी, इन दोनों की आपसी खटास के चलते ‘ग़ैर’ फ़िल्म कई दिनों तक अटकी रही, बाद में दोनों ने सुलह की, तब जाकर फ़िल्म शूट हुई और 1999 में रिलीज़ हो पाई।
कहां फिल्माए गए ‘दिलवाले’ के यादगार सीन?
एक समय था जब बॉलीवुड के लिए ऊटी एक पसंदीदा शूट लोकेशन हुआ करता था, इस फ़िल्म के भी कई गाने और कुछ सीक्वेंस ऊटी में शूट हुए, उदाहरण के लिए शंकर और अरुण की कॉलेज में लड़ाई वाला सीन, बहुत सारे सीन मुंबई के अलग-अलग लोकेशन्स पर फ़िल्माए गए,
जब मामा ठाकुर, रामी रेड्डी से नटवरलाल के मर्डर के सिलसिले में मिलता है, यह सीन कमाल अमरोही स्टूडियो में शूट हुआ, अरुण बाइक से अपने घर आता है, इसमें उसका गांव दिखाया गया है, इस सीन की शूटिंग कमलिस्तान स्टूडियो में हुई, रवीना-अजय के मंदिर में मिलते समय पुलिस के आने का सीन गोरेगांव फ़िल्म सिटी में शूट हुआ
शायद सबसे ज़्यादा बार कोई लोकेशन पर्दे पर आई होगी, तो वो है ये मंदिर, कहीं भी मंदिर दिखाना होता है, तो अधिकांश इसी का इस्तेमाल किया जाता है, अगर आप इंडियन टीवी के डेलीसोप देखते हैं या देखते रहे होंगे तो यह मंदिर आपको जाना-पहचाना लगेगा।
ससुर ने लगाया फ़िल्म में पैसा
फ़िल्म इंडस्ट्री एक ऐसी जगह है, जहां आप कनेक्शन ढूंढ़ना शुरू करेंगे, तो रिश्तों का एक उलझा जाल मिलेगा, ऐसे ही एक उलझे जाल को सुलझाने की कोशिश करते हैं, हैरी बवेजा बब्बर सुभाष को चार सालों में 4 फिल्मों में असिस्ट कर चुके थे, वही सुभाष जिन्होंने मिथुन के साथ डिस्को-डान्सर समेत कई फिल्में बनाईं, कमर्शियल मिथुन उन्हीं की देन हैं
खैर, चार फिल्में असिस्ट करने के बाद अब हैरी को अपनी फ़िल्म बनानी थी, पैसा लगाने को कोई तैयार नहीं था, वो पहुंचे अपने भाई तारलोचन बवेजा के पास, अब भाई है, पैसा लगाएगा ही, प्रोड्यूसर के तौर पर आप तारलोचन की फिल्मोग्राफी में बस दो फिल्में पाएंगे, एक 1981 में आई वंगार और दूसरी 1991 में आई हैरी बवेजा की डेब्यू फ़िल्म ‘त्रिनेत्र’, फ़िल्म उतनी चली नहीं, 2 करोड़ पैसा लगा और 3,5 करोड़ की कमाई हुई
जब हैरी साहब को दूसरी फ़िल्म बनानी थी, फिर वही संकट, एक फ़िल्म पुराना डायरेक्टर, जिसकी फ़िल्म ने औसत कमाई की हो, उस पर पैसा कौन लगाए? फिर कनेक्शन खंगाले गए, उस समय हैरी की शादी पम्मी बवेजा से हो चुकी थी, जो आगे चलकर प्रोड्यूसर बनीं, हैरी पहुंचे पम्मी के पिता और अपने ससुर के पास, वो आगरा में एक फ़ाईनैंशियल कम्पनी चलाते थे
ससुर जी कैसे मना कर देते, दामाद का करियर जो बनाना था, उन्होंने पैसे लगाए, फ़िल्म चल गई, हैरी स्टार डायरेक्टर हो गए और उनकी वाइफ पम्मी फ़िल्म प्रोड्यूसर।
फ़िल्म के ज़हरीले डायलॉग्स ने नया ट्रेंड सेट किया
‘दिलवाले’ के डायलॉग एक से एक ज़हर थे, ख़ूब फेमस हुए, बात-बात में लड़के इन्हें कोट करते, जैसे, जब अरुण, मामा ठाकुर से फ़ोन पर कहता है:
अपनी हवेली के बाहर पहरा बढ़ा दे, तूने मेरे घर को जलाया था ना, मैं तुझसे जुड़ी हर चीज़ को राख करता जा रहा हूं,
मामा, मैं तुझे भी जला दूंगा, मामा ठाकुर को फ़िल्म में धमकाता अरुण, या फिर जब कमिश्नर का रोल कर रहे सईद जाफ़री परेश रावल से कहते हैं:
मामा ठाकुर, हम एक आंधी से लड़ रहे हैं, जो कहीं भी किसी वक़्त आ सकती है
इसके डायलॉग्स का जलवा ऐसा था कि फ़िल्म से पहले गानों की ऑडियो कैसेट रिलीज़ की गई और उसमें अजय के कई डायलॉग्स डाले गए, लोग अजय देवगन की आवाज़ सुनने के लिए कैसेट खरीदते, बवेजा ने इस फ़िल्म से ट्रेंड सेट किया, उसके बाद कई फिल्मों ने इसे कॉपी किया।
ये था ऑटो में बजने वाले गानों का एल्बम
‘दिलवाले’ का म्यूजिक कल्ट था, एकदम ग़दर, उसके सारे गाने चार्टबस्टर बन गए, नदीम-श्रवण का संगीत, समीर के लिखे गाने, कुमार सानू, अलका याग्निक और उदित नारायण की आवाज़, कहर गुरु, कहर, एक समय था, जब ऑटो में बजे मतलब गाने हिट
अगर आप नाइंटीज के 20 गाने उठाएं तो 4 गाने तो इसी फ़िल्म के पक्के – कितना हसीन चेहरा, मौक़ा मिलेगा तो हम बता देंगे, जीता था जिसके लिए, और एक ऐसी लड़की थी, आज भी छोटे शहरों के ऑटो में डीजे मनीष-डीजे मनीष को छोड़ दें, तो यही सब गाने बजते हैं
कुछ 90 के दशक वाले फैंस आत्माराम भिड़े की तरह कहते रहते हैं – आजकल के गाने भी कोई गाने हैं, गाने तो हमारे जमाने में हुआ करते थे, जा नाइंटीज के नॉस्टैल्जिक, सुन ले अपनी पसंद का गाना, तुम्हारे नॉस्टैल्जिया को किसी की नज़र न लगे, चलते हैं टाटा बाय-बाय, किसी रोज़ तुमसे फिर मुलाक़ात होगी। इस जानकारी के संबंध में आप लोगों की क्या प्रतिक्रियायें है। मित्रो अधिक रोचक बाते व लेटेस्ट न्यूज के लिये आप हमारे पेज से जुड़े और अपने दोस्तो को भी इस पेज से जुड़ने के लिये भी प्रेरित करें।