WHO ने कोरोना महामारी की वैक्सीन को लेकर सभी देशों से कही ये बड़ी बाते, अमेरिका ने लगाया आरोप

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बार फिर अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि पूरी दुनिया के लिए कोविड-19 संक्रमण की वैक्सीन को सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और सभी देश इसमें योगदान करें।

शुक्रवार को डब्ल्यूएचओ डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनाइजेशन, वैक्सीन्स एंड बायोलॉजिकल्स की डायरेक्टर कैथरीन ओ’ब्रायन ने जिनेवा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 की वैक्सीन्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ गुड्स के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।

WHO ने कोरोना महामारी की वैक्सीन को लेकर सभी देशों से कही ये बड़ी बाते, अमेरिका ने लगाया आरोप

उन्होंने कहा, “महामारी सीमाओं को नहीं पहचानती है। भले ही एक देश अपने यहां बड़ी संख्या में लोगों वैक्सीन देने में सफलता प्राप्त कर लें फिर भी यह कोरोना महामारी सीमाओं को पार कर लेगी। एक भी देश में खतरे की स्थिति में हम सभी जोखिम में पड़ जाएंगे।”

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के उनके बयान के हवाले से कहा, “हम रोगाणुओं व कीटाणुओं को अपनी सीमाओं को पार करने से नहीं रोक सकते हैं और इसीलिए पूरे विश्व की रक्षा के लिए इनकी वैक्सीन्स को सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और इसके लिए सभी देशों को इसमें योगदान करने की आवश्यकता है।”

अमेरिका ने कल WHO से बाहर होने का ऐलान किया

WHO ने कोरोना महामारी की वैक्सीन को लेकर सभी देशों से कही ये बड़ी बाते, अमेरिका ने लगाया आरोप

चीन ने बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व वाले अमेरिका के अलग होने की आलोचना की है साथ ही उसने शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी WHO से एक टीम को कोरोनोवायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन का दौरा करने की अनुमति देने पर सहमति भी व्यक्त की है |

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि, अमेरिका के इस कदम से विकासशील देशों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है | इसी के साथ चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का कदम अंतरराष्ट्रीय महामारी विरोधी प्रयासों को कमजोर करता है |

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ का कहना है कि, WHO वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा आधिकारिक और पेशेवर अंतरराष्ट्रीय संस्थान है. मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र (UN) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नोटिस मिलने के बाद मंगलवार को औपचारिक रूप से अमेरिका के WHO से बाहर निकलने की घोषणा की है | हालांकि ये फैसला अगले साल तक प्रभावी नहीं होगा. इसका मतलब है कि यह एक नए प्रशासन द्वारा बदला भी जा सकता है ।

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WHO का दावा हवा के ज़रिए फेलता है वायरस

आपको बता दे, की इससे पहले तक विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता रहा है कि सार्स-कोविड-2 (कोरोना) वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुँह से निकली सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है. डब्ल्यूएचओ ये भी कहता रहा है कि लोगों में कम से कम 3.3 फुट की दूरी होने से कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम संभव है.

लेकिन अब अगर हवा के ज़रिए वायरस फैलने की बात पूरी तरह साबित हो जाती है तो, 3.3 फ़ुट की दूरी और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के नियमों में बदलाव करना होगा. वैज्ञानिको ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक खत लिखा, जिसमे वैज्ञानिकों ने गुज़ारिश की थी की उसे कोरोना वायरस के इस पहलू पर दोबारा विचार करना चाहिए और नए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए |

Written by- Prashant K Sonni