हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उद्योग में स्थानीय युवाओं के लिए 75 प्रतिशत नौकरियाँ आरक्षित करने के प्रस्ताव को मंजूरी का लघु उद्योग भारती प्रदेश और राष्ट्रीय इकाई ने विरोध किया है।
सरकार से इस पर पुनः विचार करने का आग्रह किया है। फरीदाबाद में इसको लेकर लघु उद्योग भारती संगठन ने हरियाणा के ट्रांसपोर्ट, माइन एंड जियोलॉजी, स्किल डिवेलपमेंट एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग और आर्ट एंड कल्चर विभाग के मंत्री मूलचंद शर्मा को ज्ञापन सौंपा।
इस मौके पर लघु उद्योग भारती राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अरुण बजाज, जिला लघु उद्योग भारती के प्रधान रवि भूषण खत्री ,महासचिव राकेश गुप्ता, ट्रेजरार अमृतपाल सिंह कोचर, उपाध्यक्ष आरके चावला, उपाध्यक्ष गौतम चौधरी मौजूद रहे। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने आएं कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों से जुड़े उद्योगपतियों की परेशानी को सुनने के बाद 75 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को आरक्षण देने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि हरियाणा सरकार की नीति उद्योगों को बढ़ावा देने की रही है।
हरियाणा सरकार ने जो भी उद्योगों को लेकर पॉलिसी बनाई है प्रदेश हित और उद्योग बढ़ावे को लेकर बनाई गई है। मूलचंद शर्मा ने कहा कि जो भी पिछले 20,25 साल से हरियाणा में रह रहे है वो भी यहां के निवासी है। वो भी 75 प्रतिशत में आते है उनके अंदर भी काबिलियत और हुनर है। और वो किसी भी फील्ड में काम कर सकते है। लेकिन व्यापारी भाई इस नीति से नाखुश है। मैं खुद भी व्यापार से जुड़ा हुआ हूं।
आज व्यापारी भाइयों ने जो मांग रखी है। इनकी और हमारी सबकी सांझी मांग है। मैं लघु उद्योग भारती संगठन की इस मांग को सीएम मनोहर लाल तक जरूर पहुँचाऊँगा। इस पर लघु उद्योग भारती राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अरुण बजाज ने कहा कि 75 प्रतिशत आरक्षण के आदेश ‘एक देश एक नीति’ के सिद्धांत के विरुद्ध हैं। सरकार को ऐसी आरक्षण संबंधी शर्तों से बचना चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में अरुण बजाज ने बताया कि इस संबंध में एसोसिएशन सरकार से उच्चस्तरीय बातचीत करेगी और हमें उम्मीद है कि कोइ सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
वहीं लघु उद्योग भारती के प्रधान रवि भूषण खत्री ने कहा कि उद्योगों में 75 प्रतिशत स्थानीय युवाओं की भर्ती का अध्यादेश वास्तव में उद्योग हित में नहीं है । इसके नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते है। आत्मनिर्भर भारत की बात करना और फिर ऐसे नियमों को लेकर आना अतर्कसंगत लगता है, क्योंकि इससे नए निवेश प्रभावित होंगे और नए उद्योग यहां आने से परहेज करेंगे। उद्योग में नौकरी किसी की भी काबिलियत को देखकर ही मिलती है उसमे जात-पात का कोई रोल नही रहता।
इस मौके पर लघु उद्योग भारती के महासचिव राकेश गुप्ता ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा होगा जब हम उद्योगों की कार्यशैली में कम से कम बाधाएं डालें I कोई भी उद्योग रोजगार देते समय सिर्फ कैंडिडेट के अनुभव व कुशलता को देखती है न कि वह किस प्रांत या प्रदेश से आया है I इसे देखा जाता है।
इस मौके पर उपाध्यक्ष गौतम चौधरी ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी उद्योग जगत को एक साथ आना होगा। हम लोग इस नीति के खिलाफ सीएम मनोहर लाल और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर से भी मुलाकात करेंगे।
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