फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी सोचकर कार्य तो किया गया था परंतु कहीं ना कहीं अधिकारियों और कामगारों की लापरवाही से ये सपना भी अधूरा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक स्मार्ट सिटी को आज सात साल पूरे हो गए हैं।
लेकिन इन सात वर्षों में केवल सीसीटीवी कैमरे लगाने, कमांड एंड कंट्रोल रूम और स्मार्ट पार्क बनाने का ही काम ही पूरा हो पाया है। सड़क, फुटपाथ और ड्रेनेज लाइनों का निर्माण अब भी अधूरे हैं।
लोगों को 24 घंटे बिजली-पानी देने के दावे फेल साबित हुए हैं, जिससे लोग बेहद परेशान है और अधिकारियों को कोस रहे हैं। सात वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 100 स्मार्ट सिटी की सूची जारी की थी।
जिसमें फरीदाबाद का नाम होने पर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। लोगों ने सोचा था कि शहर का एक हिस्सा जल्द स्मार्ट बन जाएगा। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लोगों को बड़े बड़े सपने दिखाए गए।
केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने 6 अक्तूबर 2014 को दशहरा मैदान में आयोजित रैली में यहां की जनता से जो वादा किया था, वह जल्द ही पूरा होगा।
सभी लोग देखेंगे कि भविष्य में फरीदाबाद विकास की नई बुलंदियों को छूकर देश के खूबसूरत और सुविधा युक्त शहरों की कतार में खड़ा होगा।
तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने कहा था कि स्मार्ट सिटी प्लान में बड़खल झील को भी गुलजार किया जाएगा। स्मार्ट सिटी में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे ओल्ड फरीदाबाद मेट्रो स्टेशन से लेकर ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन तक स्काई-वे बनाने की बात कही गई थी, जिससे लोगों का आवागमन सुगम हो सके।
इसके अलावा इन दोनों स्टेशन के बीच के रूटं पर व्यावसायिक कांप्लेक्स भी बनाने की योजना थी। इसके अंदर चार मंजिला पार्किंग से लेकर मार्केट फ्लैट बनेंगे। ट्रैफिक जाम की समस्या दूर करने के दावे किए गए।
शहर की दो सड़कें बड़खल चौक से बाईपास और ओल्ड फरीदाबाद चौक से बाईपास को स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट में शामिल किया गया। इन सभी परियोजनाओं पर कुल 2601 करोड़ रुपये के खर्च का बजट बनाया गया।