फरीदाबाद का कबाड़ीवाला लाला बना ड्रग का माफिया

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 फरीदाबाद का कबाड़ीवाला लाला बना ड्रग का माफिया

हरियाणा के फरीदाबाद शहर में कबाड़ बेचने से शुरू किया था लाला ऊर्फ बिजेंद्र ने धंधा आज उसकी 18 इमारतों पर चला प्रशासन का बुल्डोजर। लाला के नशे की तस्करी को पुलिस प्रशासन ने मंगलवार को ध्वस्त कर दिया। वही आपको बता दे, लाला ने गैरकानूनी धंधे की कमाई से साल 2011 तक अवैध कब्जा कर सेक्टर-22 की मछली मार्केट में 18 इमारतें बनाई थीं, जिन पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया है।

फरीदाबाद का नशा किंग लाला

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आपको बता दे फरीदाबाद का रहने वाला लाला पर कई चार्जेस लगे है। लाला पर हत्या, हत्या के प्रयास, NDPS, लड़ाई-झगड़ा व शराब तस्करी के 21 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 16 मामले तो अकेले मुजेसर थाना से है। पुलिस ने 15 अक्टूबर 2018 को उसके अड्डे पर छापा मारा था। उस दौरान बड़ी मात्रा में गंजा और करीब 19 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे।

तब तो लाला मौके से फरार हो गया। कुछ समय बाद आखिरकार पुलिस ने लाला को गिरफ्त में ले लिया जिसके बाद करीब 2 साल तक जेल में रहने के बाद कोर्ट से उसे जमानत मिल गई। फिर क्या होना था जेल से निकलते ही उसने फिर से नशे का कारोबार शुरू कर दिया।

18 इमारतों को किया गया ध्वस्त

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प्रशासन द्वारा अवैध कब्जा हटाने के लिए कई बार नोटिस दिया गया, लेकिन आरोपियों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। इसके बाद DC के दिशा निर्देश पर कुछ ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए।

फिर मंगलवार को नशा तस्कर लाला द्वारा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की भूमि पर अवैध कब्जा करके बनाई गई 18 इमारतों को ध्वस्त किया गया, जिसमें 11 दुकानें, 3 मकान, 3 गोदाम व 1 ऑफिस शामिल है। केंद्र सरकार की 35 एकड़ भूमि में करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर कई जगह अवैध कब्जे किए हुए थे।

लाला के साले के घर बरामद किए 1करोड़ 13लाख

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आपको बता दें कि, कुछ समय पहले ही लाला की जेल में मौत हो गई। लाला की मौत के बाद, बदरपुर बॉर्डर क्राइम ब्रांच ने लाला के साले अमित के घर छापा मारा जिसमे 1 करोड़ 13 लाख रुपए बरामद किए थे।

क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि अमित स्मैक बेचने का कारोबार करता है। सूचना मिलने के बाद टीम सेक्टर-23 स्थित अमित के घर पहुंची थी। घर की तलाशी में स्मैक तो नही मिली लेकिन अमित के बेड से एक करोड़ से अधिक की नकदी राशि बरामद की गई।

क्यों प्रशासन को इतना वक्त लग जाता है?

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जो कदम अब उठाए गए है उसे क्या प्रशासन पहले नही कर सकती थी? हमारे देश में ड्रॉग्स से हर दिन 21 लोग ड्रग की लत से परेशान होकर आत्महत्या कर लेते हैं। ये आंकड़े एनसीआरबी के हैं। ताजुब की बात तो ये है कि ये सारा अवैध धंधा सरकारी जमीनों और मछली मार्केट के बीचों बीच चल रहा था तब भी कोई सुनवाई नहीं।

यहां गलती सिर्फ प्रशासन की नही है बल्कि वहां के आसपास के लोगो की भी है जो ऐसा कारोबार पर आवाज नहीं उठाते। नशा बेहद ही घातक होता है इस पर रोक की जिम्मेदारी हम सबकी बनती है।

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