क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि आप सोने के लिए एक देश में जाते है और सुबह उठकर नाश्ता करने में दूसरे देश में? आपको यह सपना लग रहा होगा, परंतु यह हकीकत हैं। हम बात कर रहे है भारत एक ऐसे राज्य की जहां लोग सोते तो यहीं हैं, लेकिन सुबह उठकर नाश्ता करने के लिए दूसरे देश यानी म्यांमार में जाते हैं।
सुनने मे यह मज़ाक लगता है, लेकिन यह सत्य हैं। हम बात कर रहे हैं लोंगवा गांव की, जिसका वीडियाे हाल ही में नागालैंड के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग (Temjen Imna Along) ने साझा किया हैं। आखिर क्या है इस गांव में खास चलिए आपको बताते हैं।
बॉर्डर के बीच में बने हुए है घर
https://twitter.com/AlongImna/status/1613010745209540608?t=88rIJLxy-Ar3gHtaE0UuyQ&s=19
दरअसल, नागालैंड के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग ने अपने ट्विटर अकाउंट हैंडल से एक वीडियो साझा करते हुए लोंगवा गांवा का एक घर दिखाया जिसके कैप्शन में लिखा था,
“ओह माय गॉड, यह मेरा भारत है। सीमा पार करने के लिए, बॉर्डर को पार करने के लिए, इस शख्स को सिर्फ अपने बेडरूम में जाने की जरूरत है। यह बिल्कुल ऐसा है कि भारत में सोना और म्यांमार में खाना खाने जैसा हैं।”
आपको बता दें कि मंत्री तेमजेन ने इस वीडियो में जो कैप्शन दिया वह असली में हकीकत ही है। भारत-म्यांमार बॉर्डर पर होने की वजह से यहां कई घर आधे भारत में पड़ते हैं।
लोंगवा गांव भारत का आखिरी गांव
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लोंगवा गांव म्यांमार सीमा के जंगलों में स्थित नागालैंड राज्य के मोन जिले का भारत का आखिरी गांव है। बहुत समय पहले यहां कोंयाक आदिवासी रहा करते थे, जो बेहद खूंखार थे।
वह अक्सर पड़ोसी गांवों में लड़ते थे और अपने कबीले की सत्ता और जमीन पर नियंत्रण के लिए लोगों का गला काट देते थे। 1940 के बाद यहां काफी बदलाव देखने को मिला और चीजें बेहतर होने लगीं हैं।
इस गांव के लोग दोनों देशों में आ-जा सकते हैं
गौरतलब हैं कि यह गांव दो हिस्सों में बंट नहीं सका था, जिसके बाद गांव के बीच का हिस्सा हटाकर दोनों देशों की सीमा रेखा बना दी गई थी। यहां सीमा के दोनों ओर भारत और म्यांमार के झंडे दिखाई देते हैं।
सबसे खास बात यह है कि यहां के नागरिकों को दोनों देशों की नागरिकता मिली हुई है। इतना ही नहीं वे दोनों देशों में बिना वीजा के आ सकते हैं।