आर्थिक रूप से संपन्न होने के वजूद अपने बच्चे को कम आय वर्ग से नामी स्कूल में नर्सरी में दाखिला दिलाने पर एक परिवार पर कानूनी शिकंजा कस गया है। इस मामले का खुलासा अनोखे अंदाज में हुआ। दरअसल इस बच्चे को वर्ष 2019-20 के सत्र में नर्सरी में दाखिला दिलाया गया है| बच्चे को रोजाना छोड़ने और लेने के लिए महंगी कार आती थी। इससे स्कूल प्रशासन को संदेह हुआ।
जांच करने पर पता चला कि यह दाखिला फर्जीवाड़े से हुआ है। स्कूल प्रशासन ने इस मामले में चाणक्यपुरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
इस मामले में बच्चे के माता-पिता के अलावा उसके फर्जी माता-पिता बनकर स्कूल में उपस्थित होने वालों के अलावा एक दंपति को आरोपी बनाया गया है। अदालत ने बताया है कि, यह एक गंभीर मामला है।
इस मामले में सामने आ रहे केवल सात लोग आरोपी नहीं हैं, बल्कि इन आरोपियों के हिरासत में आने के बाद वो नाम भी सामने आएंगे, जिन्होंने बच्चे को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नर्सरी में दाखिला दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद की होगी। वे नामी निजी स्कूल के कर्मचारी भी हो सकते हैं या फिर सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट कार्यालय के लोग भी हो सकते हैं। बच्चे के दादा को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है।
फिलहाल इस मामले में बच्चे के दादा को छोड़कर सभी आरोपी फरार हैं। इन सभी आरोपियों की तरफ से पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंटिल की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की गई थी। लेकिन अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
बड़े बेटे को भी दिलाया, फर्जीवाड़े से स्कूल में दाखिला
आरोपी पिता मार्च महीने से पुलिस की पूछताछ में शामिल नहीं हो रहा है। अदालत ने पुलिस के आग्रह पर बच्चे के पिता को भगोड़ा करार देने और उसकी संपति कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं पुलिस की तरफ से अदालत के समक्ष एक चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी ने अपने बड़े बेटे को भी इसी तरह फर्जीवाड़ा कर एक नामी निजी स्कूल में दाखिला कराया था, उस मामले में अलग से मुकदमा दर्ज किया गया है।
मामले में बच्चे का दादा सिर्फ इसलिए कानूनी पचड़े में आ गए, क्योंकि जो कार बच्चे को स्कूल ले जाने और वापस लेने जाती थी, वह बच्चे के दादा के नाम पर पंजीकृत है। दादा ने अदालत से कहा कि उसे नहीं पता कि उसकी कार का इस्तेमाल गैरकानूनी काम में किया गया। परिवार के लोग बाहर आने-जाने के लिए कार ले जाते थे। अदालत ने इसी आधार पर बच्चे के दादा को आरोपी की श्रेणी में तो रखा। लेकिन 50 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के जमानती के आधार पर जमानत दे दी है।
घरेलू सहायिका माँ बनकर
पीटीएम में जाती थी
पुलिस ने छानबीन के बाद अदालत को बताया कि आरोपी ने फर्जीवाड़ा करने से पहले अपने बेटे का नाम बदला। फिर अपने परिचित एक कमजोर आय वर्ग के दंपति के नाम पर बेटे को नर्सरी में दाखिला दिलाया। इतना ही नहीं नवंबर में हुई अभिभावकों की मीटिंग में परिवार की घरेलू सहायिका बच्चे की मां बनकर गई। हालांकि स्कूल प्रशासन द्वारा सवाल किए जाने पर उसने बताया कि उसका पति नशे का आदी है और वह घरों में काम करती है। पुलिस ने इस मामले में इस दंपति को भी आरोपी बनाया है।
Written by- Prashant K Sonni