क्या आपको पता है? गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे आप

0
575

गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी :- सनातन धर्म में गंगा मैया को बहुत पवित्र माना गया है । मनुष्य की ज़िंदगी शुरू होती है गंगाजल को पीने के साथ और समाप्त होती है उसमे विलीन होने के साथ । मानो तो गंगा है न मानो तो बहता पानी ये लाइन बहुत सोच समझने वाली है ।

बचपन से ही हमारे माता -पिता और दूसरों से हम सुनते आए हैं कि गंगा जल कभी खराब नहीं होता। इसमें कीड़े नहीं पड़ते। इसमें से बदबू नहीं आती। गंगा की धारा पर हम ने तमाम जुल्म किए। इसमें नाले बहाए, लाशें फेंकीं, कचरा डाला, मगर गंगा जल की तासीर जस की तस रही।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी
Photo by Ashish Kumar Pandey on Pexels.com

इंसान प्रकृति से बहुत छेड़खानी करता है, लेकिन प्रकृति हमेशा अपना काम करती है । हम पेड़ों को काटते हैं लेकिन वो हमें छाया देना, फल देना नहीं छोड़ते । हम गंगा में मूत्र करते हैं, जूते-चप्पल धोते हैं, लेकिन गंगा अपनी शुद्धियाँ नहीं खोती ।

क्या आपको पता है, असल में गंगा के पानी के कभी न खराब होने की वजह हैं वायरस। जी हां, इसमें कुछ ऐसे वायरस पाए जाते हैं, जो इसमें सड़न पैदा नहीं होने देते।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी
Photo by Matteo Badini on Pexels.com

मनुष्य अपने लाभ के लिए न जाने प्रति मिनट कितने जीव-जंतुओं का घर उजाड़ रहे हैं । लेकिन जीव – जंतु कभी इंसान को कुछ नहीं कहते, बल्कि खेतों में किसान के साथ हमारा पेट भरने के लिए वे परिश्रम करते हैं । गंगा का पानी कभी ख़राब नहीं हो सकता यह बात करीब सवा सौ साल पुरानी है।

1890 के दशक में मशहूर ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैन्किन गंगा के पानी पर रिसर्च कर रहे थे। उस वक्त हैजा फैला हुआ था। लोग मरने वालों की लाशें लाकर गंगा नदी में फेंक जाते थे। हैन्किन को डर था कि कहीं गंगा में नहाने वाले दूसरे लोग भी हैजा के शिकार न हो जाएं। मगर ऐसा हो नहीं रहा था।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी

हैजा से प्रति दिन हज़ारों की संख्या में लोग अपनी जान गवा रहे थे । शवों को गंगा में फेंक दिया जाता था, इस से हैन्किन हैरान थे क्योंकि इससे पहले उन्होंने देखा था कि यूरोप में गंदा पानी पीने की वजह से दूसरे लोग भी बीमार पड़ जाते थे।

मगर गंगाजल के जादुई असर से वो हैरान थे। उनके इस रिसर्च को बीस साल बाद एक फ्रेंच वैज्ञानिक ने आगे बढ़ाया। वैज्ञानिक ने जब और रिसर्च की तो पता चला कि गंगा के पानी में पाए जाने वाले वायरस, कोलेरा फैलाने वाले बैक्टीरिया में घुसकर उन्हें नष्ट कर रहे थे।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी

ये वायरस ही गंगाजल की शुद्धता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे। यही वजह से नहाने वालों के बीच हैजा नहीं फैल रहा था। चमत्कारी गंगा ने हमेशा से मनुष्य के हित में कार्य किये हैं ।

इंसान को ईश्वर ने अच्छे कार्यों के लिए बनाया था । लेकिन मनुष्य गऊ माता को भी नहीं छोड़ते । उनके रिसर्च से पता चला कि बैक्टीरिया पर बसर करने वाले ये वायरस इंसान के लिए बहुत मददगार साबित हो सकते थे।

आज के रिसर्चर इन्हें निंजा वायरस कहते हैं। यानी वो वायरस जो बैक्टीरिया को मार डालते हैं। आज से करीब एक सदी पहले मेडिकल दुनिया में एंटीबॉयोटिक की वजह से इंकलाब आया था। चोट, घाव या बीमारी से मरते लोगों के लिए एंटिबॉयोटिक वरदान बन गए। इनकी मदद से इंसानों ने बहुत बीमारियों पर काबू पाया।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी

दुनिया में लोगों की जो जीवनशैली है, उस से दुनिया भर में सैकड़ों हजारों लोग ऐसे बैक्टीरिया की वजह से मर रहे हैं। 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक एंटीबॉयोटिक का असर इतना कम हो जाएगा कि दुनिया भर में करीब एक करोड़ लोग इन बैक्टीरिया की वजह से मौत के शिकार होंगे।

आज की तारीख में इतने लोग कैंसर से मरते हैं। अगर एंटीबॉयोटिक का असर कम होता गया तो मामूली चोट से भी लोगों की मौत होने लगेगी। जैसे अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में हुआ करता था। युद्ध में जख्मी लोगों की भी ज्यादा मौत होने लगेगी।

 गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी

ईश्वर ने इंसानों के लिए हर चीज़ बनाई है वे चाहे जीवित रहने के लिए पानी हो या सांस लेने के लिए पेड़ पौधे। इंसान कुदरत की बनाई हुई चीज़ो को नज़रअंदाज़ करने लगा है।

इस हालत से बचने में हमारे काम वो वायरस आ सकते हैं, जो गंगाजल में पाए जाते हैं। ऐसे वायरस कुदरत में बड़ी तादाद में मिलते हैं। आज पूरी धरती पर जितने इंसान हैं, उतने वायरस तो एक ग्राम मिट्टी में पाए जाते हैं।

क्या आपको पता है? गंगाजल को क्यों माना जाता है चमत्कारी, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे आप

गंगाजल इंसानो के लिए संजीवनी बूटी के समान है । विश्व का सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म में गंगा नदी को माँ की तरह पूजा जाता है। ग्रंथों में गंगा को देव नदी भी कहा गया है।

विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में गंगा जल का उपयोग भी किया जाता है। गंगा जल में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। गंगा का पानी जब हिमालय से आता है तो कई तरह के खनिज और जड़ी -बूटियों का असर इस पर होता है। इससे इसमें औषधीय गुण आ जाते हैं।

Written By – Om Sethi