सरकारी एजेंसी फरीदाबाद किसानों की फसल में निकाल रही भर भर के कमी

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 सरकारी एजेंसी फरीदाबाद किसानों की फसल में निकाल रही भर भर के कमी

Faridabad: बल्लभगढ़ अनाज मंडी में सरसों की सरकारी खरीद न होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का आरोप है कि सरकार की वेबसाइट मेरी फसल मेरा ब्यौरा रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी उनकी फसल की अभी खरीद नहीं हो पाई है। सरकारी एजेंसी हैफेड कभी नमी का बहाना तो कभी लैब में जांच कराने के नाम पर केवल किसानों को परेशान किया जा रहा है। जिसकी वजह से किसान मजबूरन अपनी सरसों की फसल को सस्ते दामों पर निजी एजेंसी को बेच रहे हैं।

बल्लभगढ़ अनाज मंडी में पिछले 4 दिनों में 32 क्विंटल सरसों की आवक हुई है। लेकिन सरकारी हैफेड के अधिकारियों की नई नई डिमांड के कारण अभी तक सरसों का एक भी दाना नहीं बिका है। वही सरकार द्वारा सरसों की फसल की खरीद का सरकारी मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।

बता दे कि बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में ही केवल सरकारी एजेंसी हैफेड को ही सरकारी खरीद करने के लिए निर्धारित किया गया है। लेकिन पिछले बीते दिनों में एजेंसी ने अभी तक एक भी सरसों की खरीद नहीं की है। वही तिगांव व मोहना की मंडियों में सरसों की आवक शुरू हो गई है। लेकिन वह भी निजी एजेंसी हीं खरीद रही है।

इसके अलावा बिन मौसम हो रही बरसात ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। बारिश के कारण किसानों की सरसों की फसल में नमी बढ़ गई है। ऐसे में किसान फिर से सरसों को सुखाकर बेचने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। जिले की तीन प्रमुख अनाज मंडी बल्लभगढ़ तिगांव में मोहना में 20 मार्च को सरसों की फसल की खरीद की सरकारी घोषणा की गई थी। लेकिन अब तक सरकारी एजेंसी द्वारा तीनों ही मंडियों में एक भी खरीद नहीं की गई है।

क्या कहना है किसानों का
अनाज मंडी में फसल बेचने से पहले ही सरकारी पोर्टल मेरा फसल मेरा ब्योरा पर रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन सरकारी एजेंसी फसल में नमी की बात कह कर खरीदने से इंकार कर रही हैं। इससे हमारी परेशानी बढ़ गई है। अगर निजी एजेंसी को अपनी फसल बेचनते हैं तो हमें वहां से फसल का पूरा दाम भी नहीं मिल पा रहा।
– देव कुमार, किसान- मवई गांव।

सरकार ने सरकारी एजेंसी को सरसों की खरीद के लिए निर्धारित किया है लेकिन एजेंसी द्वारा हमारे फसलों की खरीद नहीं की गई है। एजेंसी सरसों की ढेरी में लगातार कोई ना कोई कमी निकाल कर फसल खरीदने से मना कर रहे हैं। ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
– इंद्र भाटी, किसान- मंझावली।

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