जैन धर्म भारत की संस्कृति की पहचान बनाने में हमेशा रहा आगे: बंडारू दत्तात्रेय

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 जैन धर्म भारत की संस्कृति की पहचान बनाने में हमेशा रहा आगे: बंडारू दत्तात्रेय

Faridabad: हरियाणा के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने लोगों को महावीर जयंती की बधाई देते हुए कहा कि भारत के आध्यात्मिक इतिहास में जैन धर्म भारत की संस्कृति की पहचान बनाने में हमेशा आगे रहा है। राज्यपाल ने पानीपत के टीडीआई सिटी में आयोजित महावीर जयंती कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे थे।

इस अवसर पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पत्नी सविता कोविंद भी उपस्थित रही। साथ ही जैन मुनि समर्पण सागर महाराज, पानीपत ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा, शहरी विधायक प्रमोद विज, भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ. अर्चना गुप्ता एवं करनाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद संजय भाटिया के पुत्र चांद भाटिया भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने सर्वप्रथम भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि भगवान महावीर के नियमों का अनुसरण करते हुए मानव को अपने मन को स्थिर रखते हुए हमेशा आगे बढ़ना चाहिए। मानव को आत्मा की शुद्धि के लिए लोभ, लालच, माया आदि का त्याग कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के अनुसार धर्म ऐसा पवित्र अनुष्ठान है। जिसमें आत्मा का शुद्धिकरण होता है। यह केवल संन्यासियों व मुनियों के लिए नहीं बल्कि सब गृहस्थ स्त्री-पुरूषों के लिए भी आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि मानव को भगवान महावीर जी द्वारा बताये गये रास्ते पर चलकर सत्य और अहिंसा को अपनाना चाहिए। शत्रुता और भेदभाव के रास्ते को छोडक़र मित्रता के रास्ते पर मानव को आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई शिक्षा नीति में हमारी संस्कृति और हमारे अध्यात्मिक जीवन का प्रसार तेजी से हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत अपने धर्म, मूल्यों, संस्कृति और इतिहास के पुनरूत्थान के लिए जी-तोड़ लगा हुआ है। पिछले नौ वर्षों के दौरान हमें इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं और युवा पाश्चात्य संस्कृति की अपेक्षा भारतीय संस्कृति से जुडऩे में गौरव का अनुभव कर रहे हैं।

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