शहर में कुत्तों का कहर काफी बढ़ चुका है। बीके अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार 2022 में 15008 लोगों को कुत्तों ने काटा है। इसे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा शामिल है। औसतन रोज तिरालिस लोगों को अपना निशाना बनाया जाता है। इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों में पिछले 4 महीनों से एंटी रेबीज इंजेक्शन है ही नहीं।
आस्था एनिमल अस्पताल के निर्देशक रवि दुबे ने बताया कि स्मार्ट सिटी में इस समय करीब 70 हजार लावारिस कुत्ते घूम रहे हैं। उनका अस्पताल हर महीने में करीब डेढ़ सौ कुत्तों की नसबंदी करवाता है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार रोज 41 लोग कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। इनमें गलियों में घूमने वाले लावारिस के साथ पालतू कुत्ते भी शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग में मिले आंकड़ों के मुताबिक 2022 में जनवरी में 2093 फरवरी में 2427, मार्च में 413, अप्रैल में 1019 में मई में 445 जून में 1372 जुलाई में 560, अक्टूबर में 1358 नवंबर में 2033 दिसंबर में 2208 लोगों को कुत्तों ने काटा है।
हर साल 2022 के अगस्त 1 सितंबर के महीने में एंटी रेबीज के इंजेक्शन नहीं होने की वजह से बीके अस्पताल में किसी का इलाज नहीं हो पाता है। मजबूरन लोगों को निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। इस साल अब तक 2426 लोगों को कुत्ते काट चुके हैं। फरवरी से सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन मौजूद ही नहीं है।
बाल रोग विशेषज्ञ के डॉक्टर विकास ने बताया कि कुत्तों के काटने का असर डायरेक्ट नस पर पड़ता है और इसका असर दिखने में कम से कम 1 से 3 महीने का वक्त लगता है। 72 घंटे के अंदर वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए। काटने के बाद तुरंत रनिंग वाटर से घाव वाले स्थान को साबुन से अच्छी तरह लगभग 5 मिनट तक धोना चाहिए। से कीटाणु काफी हद तक कम हो जाते हैं।