आईपीएल की एक सबसे यादगार टीमों में से एक डेक्कन चार्जर्स ने 2009 में खिताब जीतकर सभी को हैरान कर दिया था। इस टीम में कई शानदार खिलाड़ी थे, लेकिन अचानक ही 2012 में ये टीम गायब हो गई। बीसीसीआई ने इसे डोमिनेट कर दिया गया था।
उस वक़्त कोई बहुत ज्यादा खबरें नहीं आई, मामला इतना ही साफ हो चुका था कि कोई फाइन का मामला है। मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक चला गया था, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं आ रहा था।
अब जाकर आठ साल बाद इस पर कोई फैसला आया है और फैसला ऐसा की बीसीसीआई के पैरों के तले जमीन हिल गई होगी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई को एक बड़ा झटका लगा है।
आईपीएल के शरुआती आठ टीमों में से एक रही डेक्कन चार्जर्स को गलत तरीके से हटाने के मामले में बीसीसीआई पर 4800 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना ठोका गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने लंबे समय से चल रहे इस विवाद का फैसला शुक्रवार को डेक्कन चार्जर्स फ्रेंचाइज के पक्ष में सुना दिया। हालंकि बीसीसीआई इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है।
डेक्कन चार्जर्स को हटाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज सी. के. ठक्कर को आठ साल पहले ओबिइटर नियुक्त किया था। शुक्रवार को ऑबिइटर ने अपना फैसला डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग लिमिटिड के पक्ष में सुना दिया। हालंकि डीसीएचएल ने 6,046 करोड़ के जुर्माने और ब्याज का दावा किया था।
ये पूरा मामला साल 2012 का है, जब बीसीसीआई ने कर्ज में डूबी आईपीएल फ्रेंचाइज डेक्कन चार्जर्स का अनुबंध खत्म कर दिया था। डेक्कन चार्जर्स का मालिकाना हक पहले डसीएचएल के पास था।
15 सितंबर 2012 को चेन्नई में आईपीएल गवर्नर काउंसिल की बैठक बुलाकर डेक्कन चार्जर्स की टीम को आईपीएल से निकाल दिया गया था। डेक्कन चार्जर्स ने गिलक्रिस्ट की कप्तानी में आईपीएल का दूसरा सीजन जीता था।
Written by – Ansh Sharma