कोरोना नामक महामारी ने इंसानो को घुटनो पर ला खड़ा कर दिया है | जानलेवा कोरोना वायरस आर्थिक रूप से हर किसी वर्ग को कमज़ोर कर रहा है | लॉकडाउन से अनलॉक में आने के बाद भले ही बस सेवा शुरू हो गयी हों, लेकिन हरियाणा रोडवेज की बसें घाटे में दौड़ लगा रही हैं | फरीदाबाद डिपो को रोजाना 10 लाख रूपए का घाटा हो रहा है | कोरोना की वजह से हरियाणा में पिछले कई माह से बंद पड़ी अंतरराज्यीय बस सेवा अभी शुरू होने के आसार भी नहीं दिख रहे हैैं |
महामारी कोरोना सिर्फ लोगों की जान की दुश्मन ही नहीं बल्कि, दुनिया के हर एक देश की अर्थव्यवस्था की भी दुश्मन बन गयी है | लॉकडाउन खुलने के बाद हरियाणा में परिवहन व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 4 जून से रोडवेज बसें चलनी शुरू हो गई थीं |
कोरोना महामारी ने सरकारी और गैरसरकारी दोनों ही काम रुकवा से दिए हैं | सभी राज्य अपने स्तर पर महामारी से उबरने का प्रयास कर रहे हैं | हरियाणा रोडवेज घाटे में इसलिए भी चल रही है क्यों की अंतरराज्यीय बस सेवा अभी शुरू होने के आसार भी नहीं दिख रहे हैैं | पड़ोसी राज्यों की तरफ से इसकी स्वीकृति नहीं दी जा रही है |
नतीजतन, रोडवेज का घाटा लगातार बढ़ रहा, वहीं लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है | परिवहन विभाग के अधिकारी पड़ोसी राज्यों के साथ लगातार तालमेल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं से भी बसों के संचालन की अनुमति नहीं मिली है |
लॉकडाउन से अनलॉक हुआ ज़रूर और बसों के परिचालन से लोगों को तो आवागमन में बड़ी राहत मिली है, लेकिन कोरोनाकाल में 54 सीटर बसों में केवल 30 से 35 सवारियों को बैठाने की शर्त रोडवेज पर भारी पड़ रही है | इसी के चलते रोडवेज बसें प्रतिदिन 10 से 12 लाख का घाटा लेकर चल रही हैं | डिपो में इस समय 140 बसें हैं | जिनमे से मात्र 55 बसें ही ऑनरूट हैं |