प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आई महिलाएं तो एनीमिया की समस्या बनी रोड़ा, आयरन की गोलियों से दूर की जाएगी समस्या

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कोरोना वायरस का संक्रमण कितना खतरनाक है इसका अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी तक इस वायरस को खत्म करने वाली वैक्सीन का निर्माण पूरी तरह से कामयाब नहीं हुआ है। देशभर में वैज्ञानिक इस वायरस के खात्मे के लिए वैक्सीन बनाने की खोज में जुटी हुई है। ऐसे में यह बात निकलकर आई थी कि जो व्यक्ति कोरोनावायरस को मात देकर वापस लौट रहे हैं उनके प्लाज्मा से अन्य मरीजों को भी ठीक किया जा सकता है।

इसी के चलते फरीदाबाद के तीन नंबर एससीएसआई एवं मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा बैंक की भी स्थापना की गई थी। ऐसे में अभी तक कोरोनावायरस से मात देकर 20 लोग प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आए हैं। वहीं दूसरी और अधिक से अधिक लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अभी प्रेरित भी किया जा रहा है। पर ऐसे में कुछ महिलाओं के सामने दिक्कत खड़ी हो गई है कि वह प्लाज्मा डोनेट कर पाने में सक्षम नहीं हैं।

दरअसल महिलाएं जो कोरोनावायरस से ठीक हो चुकी हैं वह प्लाज्मा दान करने के लिए अस्पताल आ रही हैं तो उनमें से करीब 60 फ़ीसदी महिलाएं एनीमिया यानी खून की कमी से जूझ रही हैं ऐसे में उनका प्लाज्मा डोनेट करना असंभव सा है। ऐसे में जो महिलाएं मां बन चुकी हैं उनके लिए भी प्लाज्मा दान करना ना के बराबर है। इन सभी कारणों के कारण महिलाएं प्लाज्मा डोनेट करने में सक्षम है और उन्हें इन कारणों का पता करने पर मैं मायूस होकर घर लौट रही है

ईसएसआईसी मेडिकल कॉलेज से कोरोना को मात दे चुके करीब 400 लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए संपर्क किया गया है। इनमें से अधिकांश लोग दोबारा संक्रमण के डर से प्लाज्मा दान करने नहीं आ रहे हैं। करीब 80 लोग प्लाज्मा दान करने के लिए सामने आए हैं, जिनमें से करीब 25 से 30 महिलाएं हैं। उनमें से भी करीब 60 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक होने के कारण या फिर मां बन जाने के कारण प्लाज्मा दान नहीं कर पा रही हैं।

ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज की कई महिला कर्मी कोरोना को मात देने के बाद प्लाज्मा दान करने के लिए सामने आई थीं, मगर उनकी जांच की गई तो उनका हीमोग्लोबिन 11 के आसपास था। रक्त की कमी के कारण उनका प्लाज्मा नहीं लिया गया। अब उन सभी को आयरन की गोलियां दी जा रही हैं ताकि उनका हीमोग्लोबिन बढ़ सके।

थोड़े दिन बाद दोबारा उनका टेस्ट किया जाएगा, यदि उनका हीमोग्लोबिन 12.5 से अधिक हुआ तो वे प्लाज्मा दान कर सकेंगी। मां बन चुकी महिलाएं नहीं कर सकती प्लाज्मा दान क्योंकि गर्भधारण करने के बाद महिला के गर्भ में शिशु पल रहा होता है, जिसका ब्लड ग्रुप अलग हो सकता है।

गर्भधारण करने के बाद बच्चे की एंटीबॉडी महिला के रक्त में मिल जाती हैं, जिससे उनकी एंटीबॉडी हमेशा बढ़ी हुई मिलती है। साथ ही किसी संक्रमित मरीज को उनकी एंटीबॉडी चढ़ाने से वह मरीज के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है। इस कारण मां बन चुकी महिलाओं का प्लाज्मा नहीं लिया जाता।
गंभीर मरीजों को नहीं चढ़ाया जाता प्लाज्मा
कोरोना संक्रमित होने के साथ अन्य बीमारियों के कारण हालत ज्यादा गंभीर होने पर मरीज को प्लाज्मा नहीं चढ़ाया जाता है।

केवल कोरोना के हल्के लक्षण वालों को ही प्लाज्मा चढ़ाया जाता है। कोई भी व्यक्ति जिसे कोरोना संक्रमित होने और उसकी निगेटिव रिपोर्ट आए हुए 28 दिन बीत गए हो, वो प्लाज़्मा दान कर सकता है। कोरोना से ठीक होने के बाद चार माह तक वे लगभग 15 दिन बाद प्लाज़्मा दान के लिए तैयार हो जाता है।

जब तक कोरोनावायरस की कोई पुख्ता दवाइयां वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती तब तक प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से अन्य मरीजों को ठीक किया जा रहा है। ऐसे में अब जरूरी है कि जो मरीज कोरोनावायरस को मात दे चुके हैं वह अपना प्लाज्मा डोनेट करें।

वहीं कुछ ऐसे मरीज भी हैं, जो इस बीमारी को मात देने के बाद भी दोबारा संक्रमण के होने के डर के चलते प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अस्पताल का रुख नहीं कर रहे है। परंतु समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन मरीजों को समझाया जा रहा है और उनके स्वस्थ स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मोटिवेट किया जा रहा है।